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This Article is From May 09, 2017

पंजाब के संयोजक बने भगवंत मान को अरविंद केजरीवाल की सलाह, शराब पर काबू रखें

आम आदमी पार्टी में दिल्ली की कलह अभी थमी नहीं है कि पंजाब में भी पार्टी से बगावती सुर फूटने लगे हैं. सोमवार को सांसद भगवंत मान को पंजाब का अध्यक्ष घोषित किए जाने के बाद विधायकों में विरोध शुरू हो गया है.

पंजाब के संयोजक बने भगवंत मान को अरविंद केजरीवाल की सलाह, शराब पर काबू रखें
सांसद भगवंत मान को पार्टी का पंजाब इकाई का अध्यक्ष बनया गया है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: कपिल मिश्रा के आरोपों में घिरे अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुए भगवंत मान को पंजाब का संयोजक बना दिया है. सूत्रों के मुताबिक- अरविंद केजरीवाल ने भगवंत मान को शराब पीने पर काबू रखने की बात भी कही है. दरअसल, आप सांसद भगवंत मान कई बार शराब पीकर हंगामा खड़ा कर चुके हैं. उन पर संसद में भी शराब पीकर जाने के आरोप लग चुके हैं. कई सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से इस बात की शिकायत भी की थी. 

पीएम मोदी भी उड़ा चुके हैं मजाक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण की चर्चा के दौरान लोकसभा में भगवंत मान का मजाक उड़ाया था. पीएम ने अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए चार्वाक का जिक्र किया और कहा कि वह कहते थे यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा, घृतं पीवेत' यानी जब तक जिओ सुख से जिओ, उधार लो और घी पिओ. उस जमाने में घी पीने का दौर था इसलिए घी कहा, भगवंत मान रहते तो कुछ और पीने के लिए कहते.

पंजाब के जगरांव से विधायक सरबजीत कौर मानुके को पार्टी विधायक दल का उपनेता चुना गया है. उधर, पार्टी में इस बदलाव पर विधानसभा में पार्टी के मुख्य व्हिप और प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैहरा ने दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया है. 

विधायकों से बातचीत के बाद लिया निर्णय
पार्टी सूत्र बताते हैं कि पहले तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी विधायकों से अलग-अलग बातचीत की. बाद में भगवंत मान को पार्टी संयोजक बनाए जाने की घोषणा कर दी.

सुखपाल सिंह खैहरा हैं नाराज
मान के नाम की घोषणा होते ही पंजाब इकाई में हलचल मचनी शुरू हो गई. हालांकि सुखपाल सिंह खैहरा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं पुष्टि करता हूं कि मैंने केजरीवाल से मुझे विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक और पार्टी प्रवक्ता के पद से तुरंत प्रभाव से हटाने को कहा है.’  उधर, पार्टी सूत्रों ने बताया कि खैहरा पार्टी की पंजाब इकाई में फेरबदल के बाद उन्हें कोई पद नहीं देने से नाराज हैं. कुछ विधायकों ने तो यहां तक कहा कि जब मान के नाम की ही घोषणा करनी थी तो उन्हें दिल्ली क्यों बुलाया गया, फोन पर ही इसकी जानकारी दी जा सकती थी. (इनपुट्स भाषा से भी)

 

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