ठाणे में बिल्डर की आत्महत्या के मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन का फाइल फोटो।
मुंबई: ठाणे के बिल्डर सूरज परमार की खुदकुशी के मामले में 'गोल्डन गैंग' का नाम उभरकर सामने आया है। आरोप है कि स्थानीय नेताओं और मनपा अधिकारियों का एक ऐसा गठजोड़ है जिसे गोल्डन गैंग के नाम से जाना जाता है। सूरज अवैध वसूली के लिए बने इसी गठजोड़ से परेशान थे।
सूरज परमार की आत्महत्या से उभरे कई सवाल
ठाणे के बिल्डर सूरज परमार की खुदकुशी कई सवाल छोड़ गई है। सूरज के परिवार और बिजनेस पार्टनर ने एक प्रेस कांफ्रेंस उनके कॉसमॉस ग्रुप पर निवेशकों का भरोसा दिलाने के लिए की, लेकिन पत्रकारों के ज्यादातर सवाल 'गोल्डन गैंग' से जुड़े रहे। सूरज के चचेरे भाई उदय ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि उनका भाई अवैध वसूली का शिकार हुआ है। उदय ने कहा कि सूरज ने सुसाइट नोट में साफ - साफ लिखा है कि वे लोग उसे परेशान कर रहे थे। रिश्वत देने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहे थे।
खुदकुशी की जांच कर रही ठाणे पुलिस को सूरज की कार से 15 पेज का एक सुसाइट नोट मिला है। बताया जाता है कि उसमें 6 नगरसेवक और 3 सरकारी अधिकारियों के नाम लिखे थे, जिसे बाद में काट दिया गया था। आरोप है कि वे सभी गोल्डन गैंग से जुड़े हैं।
बिल्डरों से उगाही के लिए नेताओं-अफसरों का गठजोड़
गोल्डन गैंग नेताओं और अफसरों का ऐसा गठजोड़ है जो संगठित तरीके से बिल्डरों से उगाही करता है। जानकारों के मुताबिक यह पहले ऐसे बिल्डिंग प्रोजेक्ट की पहचान करते हैं जिनकी फाइल महानगर पालिका में अनुमति के लिए आई हो। इसके बाद कोई न कोई बहाना बनाकर उस प्रोजेक्ट के खिलाफ माहौल बनाते हैं। स्टॉप वर्क नोटिस भेजकर परेशान करते हैं। इसके बाद शुरू होता है वसूली का दौर। बीजेपी विधायक संजय केलकर ने इस सबंध में बाकायदा मुख्यमंत्री को खत लिखकर जांच की मांग की है।
रियल इस्टेट से जुड़े बिल्डरों के मुताबिक यह अकेले सूरज की या ठाणे शहर की कहानी नहीं है। पूरा रियल इस्टेट आज इस तरह की परेशानी से गुजर रहा है। एनए , डीपी प्लान और बिल्डिंग प्लान जैसे कानूनों में लगातार बदलाव भी एक बड़ी समस्या है। कभी - कभी पहले से पास प्रोजेक्ट भी नियमों में बदलाव की वजह से अटक जाते हैं। इसका फायदा कथित गोल्डन गैंग उठाती है।