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This Article is From Sep 29, 2013

महिलाओं के ‘अंधाधुंध हिस्टेरेक्टोमी’ ऑपरेशनों पर रोक लगाए सरकार : अदालत

नई दिल्ली: शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने गरीबों के इलाज के एवज में राशि मुहैया कराने वाली एक केंद्रीय योजना के तहत लाभ प्राप्त करने की खातिर निजी अस्पतालों द्वारा महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने के लिए किए जा रहे ‘अंधाधुंध हिस्टेरेक्टोमी’ ऑपरेशनों पर रोक लगाने के लिए केंद्र और एमसीआई से आवश्यक कदम उठाने को कहा है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग ने कहा कि नर्सिंग होम जरूरत न होने पर भी हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन करके महिलाओं को धोखा दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) का लाभ उठा रहे हैं। अदालत ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा परिषद से ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

इसके साथ ही एनसीडीआरसी ने सिकंदराबाद आधारित यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स और इसकी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पद्मिनी वाल्लुरी को एक महिला का ‘लापरवाही से इलाज’ करने के कारण उसे तीन महीने के भीतर 10 लाख रुपये देने को कहा है।

एनसीडीआरसी ने कहा कि डॉ पद्मिनी ने महिला की सहमति नहीं ली और उसके शरीर से अंडाशय और गर्भाशय निकाल दिया जबकि इसकी जरूरत नहीं थी और इसके कारण महिला अब गर्भवती नहीं हो सकती।

न्यायमूर्ति जेएम मलिक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘आरएसबीवाई निजी नर्सिंग होम के बीच सनक बन गई है, भारत में कई हजार नर्सिंग होम इस योजना का लाभ उठाते हैं और जरूरत न होने पर भी हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन करके महिलाओं को धोखा देते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एमसीआई को ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘देश में प्रत्येक निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन संबंधी आंकड़ों को मुहैया कराना अनिवार्य होना चाहिए। देश में मासूम महिलाओं को बचाए जाने की जरूरत है और इस प्रकार के अंधाधुंध हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन पर रोक लगानी चाहिए... हमारा मानना है कि अस्तपाल और चिकित्सक ने लापरवाही बरती।’

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता की पत्नी (मरीज) को न्याय संगत और उचित मुआवज़ा मिलना चाहिए। अब वह गर्भवती भी नहीं हो सकती।

अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि ऐसा दुर्लभ ही होता है कि जान बचाने के लिए हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन की जरूरत हो और यह ऑपरेशन अकसर महिलाओं को परिणाम की जानकारी दिए बिना किया जाता है और महिलाएं इस बारे में पूछती हैं तो ‘चिकित्सक उनसे झूठ बोलते हैं।’

मरीज के पति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी का उससे पूछे बिना और उसकी सहमति के बिना हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन कर दिया गया जिसके कारण उसे कई प्रकार की चिकित्सकीय जटिलताएं हो गई और अब वह भविष्य में गर्भवती भी नहीं हो सकती।

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