लखनऊ की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट बाबरी मस्जिद विध्वंस केस (Babri Masjid Demolition Case) में 30 सितंबर यानी बुधवार को फैसला सुनाने वाली है. इस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और अन्य लोग मुख्य आरोपी हैं. कोर्ट ने सभी आरोपियों को उस दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. हालांकि अब खबर आई है कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी फैसला सुनाए जाने के समय मौजूद नहीं रहेंगे.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को 16 शताब्दी की मस्जिद को ढहाए जाने के करीब 28 साल बाद लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी. भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह पर आपराधिक साजिश और शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोप हैं. अदालत ने सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है लेकिन कोरोना महामारी और स्वास्थ्य कारणों से सभी ऐसा कर पाने में समर्थ नहीं हैं.
92 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी और 86 वर्षीय मुरली मनोहर जोशी ने कथित रूप से पेशी से छूट मांगी है. उमा भारती कोरोना से पीड़ित हैं और अस्पताल में हैं जबकि कल्याण सिंह का भी कोरोना का इलाज जारी है. एक अन्य हाई प्रोफाइल आरोपी राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास हैं.अदालत यह तय करेगी कि क्या भाजपा नेताओं और अन्य लोगों ने बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए हजारों हिंदू कार्यकर्ताओं या "कार सेवकों" को उकसाया था.
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती जो कि इस केस में आरोपी हैं उन्होंने पत्र लिखकर बीजेपी राष्ट्रीय जेपी नड्डा को साफ़ कर दिया है कि अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है तो वो बेल लेने की बजाय जेल जाएंगी. जुलाई में एनडीटीवी से बातचीत के दौरान भी उमा भारती अपना स्टैंड साफ़ कर चुकी हैं. उन्होंने NDTV से कहा था, 'मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि फैसला क्या होगा.'पिछले करीब तीन दशकों में इस मामले में कई मोड़ आए. सीबीआई ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ षडयंत्र करने का मामला दायर किया और बाद में आरोप वापस ले लिये.
VIDEO:बाबरी ध्वंस मामले में 30 सितंबर को फैसला
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