अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आज भूमिपूजन सहित कई कार्यक्रम हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा तमाम बडे राजनेता और साधु संतों सहित 175 आमंत्रित लोग इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे. पीएम मोदी सुबह 11:30 बजे से लेकर करीब 3 घंटे तक अयोध्या में रहेंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि जो अयोध्या शहर पता नहीं कितने सालों तक विवाद का केंद्र बना रहा आज उसे पहली बार इतनी खूबसूरती सजाया गया है. अयोध्या सालों तक विवाद का केंद्र रही है. करीब 100 साल से ज्यादा तक कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद आखिरकार रामलला के लिए आज राम मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. बीते साल 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने इसका फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस विवादित जमीन पर अपना मालिकान हक साबित नहीं कर पाया है. वहीं पुरातत्व विभाग की ओर से दी गई रिपोर्ट में भी वहां मंदिर होने के प्रमाण पेश किए गए हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कहा कि पुरातत्व विभाग ये बात नहीं बता पाया है कि क्या वहां पर किसी मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा मुस्लिम पक्ष को विवादित स्थल से दूर 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का भी आदेश दिया.
Ayodhya Timeline: अयोध्या में विवाद का पूरा इतिहास
- 1528 : अयोध्या में एक ऐसी जगह पर मस्जिद बनाई गई. जिसे हिन्दू समुदाय के लोग मानते हैं कि वहां भगवान राम का जन्म हुआ था. कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी जिसे बाबरी मस्जिद कहा जाता है.
- 1853 : इस मुद्दे पर पहली बार दो समुदायों के बीच विवाद हुआ.
- 1885 में महंत रघुबर दास ने अदालत से मांग की कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए. यह मांग खारिज हो गई.
- 1946 : बाबरी मस्जिद को लेकर शियाओं और सुन्नियों में विवाद. बाबर सुन्नी था इसलिए फैसला शियाओं के खिलाफ गया.
- 1949: जुलाई में राज्य सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की. लेकिन यह भी नाकाम रही.
- 1949 : 22-23 दिसंबर को मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रखी गईं.
- 1949 : 29 दिसंबर को मंदिरर की संपत्ति कुर्क कर ली और वहां रिसीवर बिठा दिया गया.
- 1950 : इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है. इस तारीखी मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के थे.
- 1950 : 16 जनवरी को गोपाल दास विशारद कोर्ट और कहा कि मूर्तियां वहां से न हटाई जाएं और पूजा बिना रुकावट के जारी रखी जाए. अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा. जनता बाहर से दर्शन करेगी.
- 1959: निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में पहुंच कर दावा पेश किया.
- 1961: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी कोर्ट पहुंचा और मस्जिद का दावा पेश किया.
- 1986: 1 फरवरी को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी.
- 1986 : कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ.
- 1989: वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा दायर किया.
- 1989: नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया.
- 1990 : 25 सितंबर को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से एक रथ यात्रा शुरू की. इस यात्रा को अयोध्या तक जाना था. इस रथयात्रा से पूरे मुल्क में एक जुनून पैदा किया गया. इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए. ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए.
- 1990 : लेकिन आडवाणी को 23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया.
- 1990 : कारसेवक मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ गए और गुम्बद तोड़ा. वहां भगवा फहराया. इसके बाद दंगे भड़क गए.
- 1991 : जून में आम, चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई.
- 1992 : 30-31 अक्टूबर को धर्म संसद में कारसेवा की घोषणा हुई.
- 1992 : नवंबर में कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया.
- 1992 : 6 दिसंबर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े. करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया.
- 2003: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था.
- 2005: यहां आतंकवादी हमला हुआ. लेकिन आतंकवादी वहां कुछ नुकसान नहीं कर सके और मारे गए.
- 2010 : 30 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित कर अयोध्या में विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है.
- 2019 : 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बातचीत से सुलझाने का फैसला किया और इसके लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन कर दिया. इस समिति के अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं.
- 2019 : 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने हिंदुओं को पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी विवादित जमीन सौंप दी. मुस्लिम पक्ष को भी इस जगह से दूर मस्जिद देने का आदेश सुनाया गया.
- 2020 : 5 अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम रखा गया. जिसमें मुख्य अतिथि तौर पर पीएम मोदी, महंत नृत्यगोपाल दास, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ को मंच पर बैठने की इजाजत दी गई है.