
भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राम जन्मभूमि बाबरी विवाद पर 11 अगस्त को 2 बजे से सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. कोर्ट की तीन जजों की स्पेशल बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सलाह दी थी कि सभी पक्षों को आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा थी कि ऐसी स्थिति में मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है. इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिए आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा था. कोर्ट का यह रुख इसलिए अहम है क्योंकि एक बड़ा वर्ग इसे बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझाने की बात करता रहा है.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में राम जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीमकोर्ट में अपीलें दाखिल कर रखी हैं जो कि पिछले छह साल से लंबित हैं. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
30 सितंबर 2010 के हाईकोर्ट के तीन जजों के आदेश पर रोक लगाते हुए 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट का फैसला अजीबोगरीब है क्योंकि किसी भी पक्षकार ने बंटवारा नहीं मांगा था, ना ही ये अर्जी में मांग की गई थी. इस फैसले पर रोक लगानी ही होगी. हाईकोर्ट ने इस मामले में नए आयाम बना दिए हैं.
VIDEO: राम मंदिर पर क्या बोले सीएम योगी आदित्यनाथ
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में राम जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीमकोर्ट में अपीलें दाखिल कर रखी हैं जो कि पिछले छह साल से लंबित हैं. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
30 सितंबर 2010 के हाईकोर्ट के तीन जजों के आदेश पर रोक लगाते हुए 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट का फैसला अजीबोगरीब है क्योंकि किसी भी पक्षकार ने बंटवारा नहीं मांगा था, ना ही ये अर्जी में मांग की गई थी. इस फैसले पर रोक लगानी ही होगी. हाईकोर्ट ने इस मामले में नए आयाम बना दिए हैं.
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