Ayodhya Case: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आप नेता कुमार विश्वास ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कई चौपाई लिखकर प्रतिक्रिया दी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गृहमंत्री अमित शाह ने किया स्वागत, कहा- अपने संकल्प के प्रति...
कुमार विश्वास के ट्वीट-
साथ जीने की विरासत ही सँभाली जाए ,
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 9, 2019
और मुहब्बत की रिवायत भी बचा ली जाए,
फ़ैसला जो भी हो बस इतना सावधान रहें ,
मज़हबी आग पर नफ़रत न उबाली जाए..!#AyodhyaHearing ????????
#AYODHYAVERDICT pic.twitter.com/thzT9SRgNK
अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ।
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 9, 2019
यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ।।
जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि।
उत्तर दिसि बह सरजू पावनि।।
#AYODHYAVERDICT
“गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 9, 2019
बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न॥”
बोलिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जय
(इस जयकार के बाद “मर्यादा” शब्द को दोबारा ज़रूर दोहराइए, पालन कीजिए अन्यथा इस समय छलक उठे ख़ुशी के आँसुओं के साथ न्याय नहीं होगा )
#AYODHYAVERDICT
मेरे राम कुछ नहीं बोल पा रहा
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 9, 2019
#AYODHYAVERDICT
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 9, 2019
हृदय राखि कौसलपुर राजा। https://t.co/Z4NvbTGlIa
बता दें कि अयोध्या मामले में पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है. फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था. CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं. CJI ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं. हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे. रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी. साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे.
साथ ही CJI ने कहा कि सूट -5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है. सूट 5 में सीतार रसोई और सिंह द्वार का जिक्र है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है. CJI ने कहा कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी. मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा.
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