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शशिकला AIADMK में किसी आधिकारिक पद पर नहीं थीं लेकिन जयललिता की करीबी थीं
चेन्नई:
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी की प्रमुख जे जयललिता के निधन के बाद शशिकला नटराजन ने बहुत जल्दी और असरदार तरीके से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. जब पीएम नरेंद्र मोदी जैसी वीआईपी शख्सियतें पूर्व सीएम को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंची हुई थीं, उस वक्त शशिकला, जयललिता के शव के पास से एक मिनट के लिए भी नहीं हटीं. यहां तक की मरीना बीच पर अंतिम संस्कार की सारी विधियां भी उन्हीं के हाथों ही हुई जिससे शशिकला की अहमियत के बारे में काफी कुछ पता चलता है.
इन सबके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या 27 साल तक जयललिता द्वारा महासचिव के तौर पर AIADMK की कमान संभालने के बाद अब यह डोर शशिकला के हाथों में दे दी जाएगी. पार्टी के प्रवक्ता डॉ वी मैत्रेयन इस कयास को गलत नहीं बता रहे हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि 'शशिकला पोयस गार्डन के लिए रीढ़ की हड्डी थीं.' बता दें कि पोयस, चेन्नई का वह बंगला है जो काफी सालों से जयललिता और शशिकला नटराजन दोनों का आशियाना था.
जयललिता के निधन के बाद शशिकला उनके शव के पास खड़ी रहीं (PTI)
मैत्रेयन ने एनडीटीवी की उस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट को खारिज किया है जिसमें AIADMK के दो सूत्रों के हवाले से, जिसमें एक वरिष्ठ मंत्री हैं, कहा गया है कि किस तरह जयललिता की मृत्यु के कुछ घंटे पहले सत्ता हस्तांतरण के लिए पार्टी विधायकों को कथित रूप से इस बात के लिए मजबूर किया गया कि नई सरकार का गठन शशिकला की इच्छा के मुताबिक किया जाएगा. मैत्रेयन ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इस दावे को गलत बताया कि पार्टी विधायकों को अपोलो अस्पताल के बेसमेंट के कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाकर खाली पेपर पर दस्तख़त करवाए गए ताकि बाद में यह साबित किया जा सके कि पन्नीरसेल्वम के मुख्यमंत्री पद संभालने की योजना के साथ वे सभी सहमत थे. उधर इसी अस्पताल के ICU में जयललिता जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थीं जो कुछ घंटे बाद समाप्त हो गया.
यह भी पढ़ें : जयललिता को क्यों दफनाया गया
NDTV से एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न बताए जाने की शर्त पर कहा था कि जयललिता की मृत्यु की घोषणा से पहले शशिकला ने पन्नीरसेल्वम और चार बाहुबली नेताओं से अकेले में मुलाकात की थी. ऐसा माना जा रहा है कि इसी दौरान सत्ता हस्तांतरण को लेकर समझौता किया गया. मैत्रेयन के मुताबिक इससे कुछ साबित नहीं होता क्योंकि पन्नीरसेल्वम का प्रमोशन तो होना ही थी. इससे पहले दो बार जयललिता पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, पन्नीरसेल्वम उनके साथ खड़े थे. इसी साल जब वह लंबे वक्त तक अस्पताल में भर्ती थीं, तब भी उनकी निगरानी में रहने वाले विभागों की जिम्मेदारी पन्नीरसेल्वम को सौंप दी गई थी. अगर सवाल यह है कि पन्नीरसेल्वम के हाथों सरकार की बागडोर देने के लिए पार्टी में किसी तरह की वोटिंग क्यों नहीं हुई तो वह इसलिए क्योंकि AIADMK इन प्रक्रियाओं में यकीन नहीं रखता. प्रवक्ता ने कहा 'आप शायद AIADMK के सिस्टम को जानते नहीं हैं. हमारी पार्टी अनुशासन और वफादारी पर चलती है. जाहिर है जब पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार समझ लिया गया था तो उसके बाद किसी तरह की बहस की गुंजाइश बचती ही नहीं है.'
जयललिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे पीएम मोदी भी शशिकला से मिले (PTI)
उधर जयललिता के निधन के बाद जब आखिरी दर्शन के लिए उनके शव को राजाजी हॉल में रखा गया था, तब शशिकला की मौजूदगी को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल था. शशिकला के पति और उनका परिवार भी इस मौके पर नज़र आ रहे थे, हालांकि अम्मा ने इन सबसे बहुत पहले ही रिश्ते तोड़ दिए थे. जो जयललिता को करीब से जानते हैं उनका कहना था कि अम्मा, शशिकला के रिश्तेदारों की मौजूदगी पसंद नहीं करती - शशिकला ने भी जयललिता से मन मुटाव के बाद चार साल पहले फिर से दोस्ती के लिए अपने परिवार से पूरी तरह नाता तोड़ दिया था. हालांकि अम्मा के निधन पर शशिकला के परिवार की मौजूदगी के मुद्दे को लेकर पार्टी बचती नज़र आ रही है. मैत्रेयन का कहना है कि 'दुख की इस घड़ी में शशिकला को अपने परिवार के साथ की जरूरत पड़ी होगी.'
यह भी पढ़ें : घटनाएं जिन्होंने जयललिता को अम्मा बना दिया
हालांकि शशिकला नटराजन को अभी तक आधिकारिक रूप से पार्टी में कोई स्थान नहीं मिला है लेकिन इस हफ्ते जिस तरह उनकी अहमियत जगज़ाहिर हुई है, उससे यह कानाफूसी और तेज़ हो गई है कि AIADMK की अगली महासचिव बनकर क्या वह पार्टी की कमान औपचारिक रूप से अपने हाथों में ले लेंगी. अगर इसमें कोई रोड़ा है भी तो पार्टी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रही है. बल्कि फिलहाल नटराजन की पूर्व प्रमुख के प्रति वफादारी पर ही ज़ोर दिया जा रहा है. इन दोनों महिलाओं के बीच कुछ वक्त के लिए अलगाव रहा था लेकिन इस पर मैत्रेयन का कहना है कि 'ऐसा डर था कि डीएमके (मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी) शशिकला को अम्मा के खिलाफ कर देगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. इसी से शशिकला की काबिलियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.' इसी मौके पर मैत्रेयन ने विमुद्रीकरण के फैसले पर होने वाली परेशानी पर अफसोस जताते हुए कहा कि सरकार ने काफी असरदार फैसला लिया है और भारत इतिहास बदलने की कगार पर है.
इन सबके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या 27 साल तक जयललिता द्वारा महासचिव के तौर पर AIADMK की कमान संभालने के बाद अब यह डोर शशिकला के हाथों में दे दी जाएगी. पार्टी के प्रवक्ता डॉ वी मैत्रेयन इस कयास को गलत नहीं बता रहे हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि 'शशिकला पोयस गार्डन के लिए रीढ़ की हड्डी थीं.' बता दें कि पोयस, चेन्नई का वह बंगला है जो काफी सालों से जयललिता और शशिकला नटराजन दोनों का आशियाना था.
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NDTV से एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न बताए जाने की शर्त पर कहा था कि जयललिता की मृत्यु की घोषणा से पहले शशिकला ने पन्नीरसेल्वम और चार बाहुबली नेताओं से अकेले में मुलाकात की थी. ऐसा माना जा रहा है कि इसी दौरान सत्ता हस्तांतरण को लेकर समझौता किया गया. मैत्रेयन के मुताबिक इससे कुछ साबित नहीं होता क्योंकि पन्नीरसेल्वम का प्रमोशन तो होना ही थी. इससे पहले दो बार जयललिता पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, पन्नीरसेल्वम उनके साथ खड़े थे. इसी साल जब वह लंबे वक्त तक अस्पताल में भर्ती थीं, तब भी उनकी निगरानी में रहने वाले विभागों की जिम्मेदारी पन्नीरसेल्वम को सौंप दी गई थी. अगर सवाल यह है कि पन्नीरसेल्वम के हाथों सरकार की बागडोर देने के लिए पार्टी में किसी तरह की वोटिंग क्यों नहीं हुई तो वह इसलिए क्योंकि AIADMK इन प्रक्रियाओं में यकीन नहीं रखता. प्रवक्ता ने कहा 'आप शायद AIADMK के सिस्टम को जानते नहीं हैं. हमारी पार्टी अनुशासन और वफादारी पर चलती है. जाहिर है जब पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार समझ लिया गया था तो उसके बाद किसी तरह की बहस की गुंजाइश बचती ही नहीं है.'
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उधर जयललिता के निधन के बाद जब आखिरी दर्शन के लिए उनके शव को राजाजी हॉल में रखा गया था, तब शशिकला की मौजूदगी को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल था. शशिकला के पति और उनका परिवार भी इस मौके पर नज़र आ रहे थे, हालांकि अम्मा ने इन सबसे बहुत पहले ही रिश्ते तोड़ दिए थे. जो जयललिता को करीब से जानते हैं उनका कहना था कि अम्मा, शशिकला के रिश्तेदारों की मौजूदगी पसंद नहीं करती - शशिकला ने भी जयललिता से मन मुटाव के बाद चार साल पहले फिर से दोस्ती के लिए अपने परिवार से पूरी तरह नाता तोड़ दिया था. हालांकि अम्मा के निधन पर शशिकला के परिवार की मौजूदगी के मुद्दे को लेकर पार्टी बचती नज़र आ रही है. मैत्रेयन का कहना है कि 'दुख की इस घड़ी में शशिकला को अपने परिवार के साथ की जरूरत पड़ी होगी.'
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हालांकि शशिकला नटराजन को अभी तक आधिकारिक रूप से पार्टी में कोई स्थान नहीं मिला है लेकिन इस हफ्ते जिस तरह उनकी अहमियत जगज़ाहिर हुई है, उससे यह कानाफूसी और तेज़ हो गई है कि AIADMK की अगली महासचिव बनकर क्या वह पार्टी की कमान औपचारिक रूप से अपने हाथों में ले लेंगी. अगर इसमें कोई रोड़ा है भी तो पार्टी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रही है. बल्कि फिलहाल नटराजन की पूर्व प्रमुख के प्रति वफादारी पर ही ज़ोर दिया जा रहा है. इन दोनों महिलाओं के बीच कुछ वक्त के लिए अलगाव रहा था लेकिन इस पर मैत्रेयन का कहना है कि 'ऐसा डर था कि डीएमके (मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी) शशिकला को अम्मा के खिलाफ कर देगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. इसी से शशिकला की काबिलियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.' इसी मौके पर मैत्रेयन ने विमुद्रीकरण के फैसले पर होने वाली परेशानी पर अफसोस जताते हुए कहा कि सरकार ने काफी असरदार फैसला लिया है और भारत इतिहास बदलने की कगार पर है.
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