
अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से वैट कमिश्नर के मुद्दे पर केंद्र सरकार बनाम दिल्ली सरकार की जंग को अब विराम लग गया है। एलजी नजीब जंग ने आईएएस अफसर एस एस यादव को दिल्ली का नया वैट कमिश्नर नियुक्त किया है। यादव अभी दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ थे और केजरीवाल के बेहद ख़ास माने जाते हैं।
असल में कुछ दिनों पहले वैट कमिश्नर आईएएस अफसर विजय कुमार का ट्रान्सफर दिल्ली से बाहर कर दिया गया था जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने एलजी और केंद्र सरकार के खिलाफ रसूखदार ट्रेडर लॉबी और हवाला कारोबारियों के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था।
यही नहीं जब केजरीवाल सरकार ने नए वैट कमिश्नर के लिए आईएएस अफसर अंकुर गर्ग का नाम आगे बढ़ाया तो एलजी ने ये कह कर ठुकरा दिया कि इस पद के लिए ये बहुत जूनियर हैं। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट प्रस्ताव पास करके कहा कि अगर एलजी 24000 करोड़ के वैट कलेक्शन के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं तो वैट विभाग अपने पास ही रख लें।
इसके बाद एलजी ने प्रेस जारी करके सफाई दी कि उन्होंने किसी का कोई ट्रान्सफर नहीं किया है। गृह मंत्रालय का आदेश था कि जो अफसर महीनों पहले ट्रान्सफर हो चुके हैं, उनको रिलीव किया जाए। और, क्योंकि सरकार गृह मंत्रालय के आदेश नहीं मान रही थी इसलिए उन अफसरों को रिलीव करने के लिए गृह मंत्रालय को एलजी दफ्तर को निर्देश देना पड़ा जिसके एलजी दफ्तर ने आदेश जारी किया।
असल में दिल्ली सरकार की कुल कमाई का 70 फीसदी वैट से आता है यानी चुनाव में जो भी वादे केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से किये थे उसके लिए मुख्यतः पैसा वैट से ही आना है। इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने वैट कलेक्शन का लक्ष्य 17 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 24 हज़ार करोड़ करने का फैसला किया है । ऐसे में इस डिपार्टमेंट से ज़रा भी छेड़छाड़ उसको बर्दाश्त नहीं।
कुल मिलाकर केजरीवाल के ख़ास और पसंदीदा माने जाने वाले अफसर एस एस यादव की वैट कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति से माना जाए कि कम से कम ये मोर्चा तो केजरीवाल ने फ़तेह किया जिससे डिपार्टमेंट पर उ की पकड़ बरक़रार है।
असल में कुछ दिनों पहले वैट कमिश्नर आईएएस अफसर विजय कुमार का ट्रान्सफर दिल्ली से बाहर कर दिया गया था जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने एलजी और केंद्र सरकार के खिलाफ रसूखदार ट्रेडर लॉबी और हवाला कारोबारियों के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था।
यही नहीं जब केजरीवाल सरकार ने नए वैट कमिश्नर के लिए आईएएस अफसर अंकुर गर्ग का नाम आगे बढ़ाया तो एलजी ने ये कह कर ठुकरा दिया कि इस पद के लिए ये बहुत जूनियर हैं। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट प्रस्ताव पास करके कहा कि अगर एलजी 24000 करोड़ के वैट कलेक्शन के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं तो वैट विभाग अपने पास ही रख लें।
इसके बाद एलजी ने प्रेस जारी करके सफाई दी कि उन्होंने किसी का कोई ट्रान्सफर नहीं किया है। गृह मंत्रालय का आदेश था कि जो अफसर महीनों पहले ट्रान्सफर हो चुके हैं, उनको रिलीव किया जाए। और, क्योंकि सरकार गृह मंत्रालय के आदेश नहीं मान रही थी इसलिए उन अफसरों को रिलीव करने के लिए गृह मंत्रालय को एलजी दफ्तर को निर्देश देना पड़ा जिसके एलजी दफ्तर ने आदेश जारी किया।
असल में दिल्ली सरकार की कुल कमाई का 70 फीसदी वैट से आता है यानी चुनाव में जो भी वादे केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से किये थे उसके लिए मुख्यतः पैसा वैट से ही आना है। इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने वैट कलेक्शन का लक्ष्य 17 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 24 हज़ार करोड़ करने का फैसला किया है । ऐसे में इस डिपार्टमेंट से ज़रा भी छेड़छाड़ उसको बर्दाश्त नहीं।
कुल मिलाकर केजरीवाल के ख़ास और पसंदीदा माने जाने वाले अफसर एस एस यादव की वैट कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति से माना जाए कि कम से कम ये मोर्चा तो केजरीवाल ने फ़तेह किया जिससे डिपार्टमेंट पर उ की पकड़ बरक़रार है।
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