मुंबई:
महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी वाईपी सिंह ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले में हासिल जानकारी में से काफी बातें जनता से छिपाईं, ताकि व्यक्ति विशेष को निशाना बनाने के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें।
सिंह ने दावा किया कि 18 मई, 2012 को टीम केजरीवाल के सदस्य प्रशांत भूषण के घर पर केजरीवाल के साथ उनकी बैठक हुई थी, जिसमें उन्होंने केजरीवाल को कई जानकारियां दी थीं। सिंह के मुताबिक यदि केजरीवाल किसी राजनीतिक दल के लिए ऐसा करने वाले होते, तो वह उन्हें ये जानकारियां कभी नहीं देते।
वाईपी सिंह ने कहा, "केजरीवाल का तरीका हिटलर जैसा है, जिन्होंने चुनावों को निगाह में रखकर पहले कांग्रेस और बाद में बीजेपी की छवि को धूमिल किया। केजरीवाल ने गलत कानूनी नुक्तों के आधार पर नितिन गडकरी पर आरोप लगाए हैं, लेकिन हम केजरीवाल जैसे नहीं हैं, जो आरोप लगाकर चुपचाप बैठ जाएं। हम औपचारिक रूप से एंटी करप्शन ब्यूरो में नवंबर के पहले हफ्ते में शरद पवार, अजित पवार, सुप्रिया सुले और उनके पति के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज कराएंगे।"
सिंह ने कहा, "हमारा दावा है कि शरद पवार ने लवासा को रियायतें दिलाने के लिए निजी प्रभुत्व का इस्तेमाल किया और अजित पवार ने भी लवासा को लाभ पहुंचाने के लिए बार-बार सरकारी कार्रवाई में हस्तक्षेप किया। इस घोटाले के तहत पवार परिवार को लगभग नगण्य कीमतों पर अरबों रुपये की जमीन दे दी गई।"
वाईपी सिंह ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने जांच उनके साथ मिलकर ही की थी, परंतु जो तथ्य इनकी जानकारी में आए थे, केजरीवाल उन्हें मीडिया के सामने नहीं लाए। जिस घोटाले की जानकारी दी गई, उससे भी कहीं बड़ा सिंचाई घोटाला छिपा लिया गया।
सिंह ने कहा, "अब यह मेरा कर्तव्य था कि चूंकि एक बहुत बड़े नेता को बचाने की कोशिश की जा रही है, तो मैं मीडिया को असलियत बता दूं। केजरीवाल भी ऐसा कर सकते थे और उनके पास सारी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सिंह ने दावा किया, भले ही मेरा विश्वास न कीजिए, परंतु जो सबूत मैं आपके सामने रख रहा हूं, उनकी जांच कीजिए। शरद पवार बहुत बड़ी राजनीतिक शख्सियत हैं और जांच के बाद आप तय करें कि क्या उन्हें केंद्र में मंत्री बने रहने का अधिकार है या नहीं।"
इन आरोपों के जवाब में शरद पवार ने कहा कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ है और मामला फिलहाल कोर्ट में हैं। जहां तक जमीन देने का सवाल है तो यह काम राज्य सरकार ने किया है। पवार ने वाईपी सिंह के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
सिंह ने दावा किया कि 18 मई, 2012 को टीम केजरीवाल के सदस्य प्रशांत भूषण के घर पर केजरीवाल के साथ उनकी बैठक हुई थी, जिसमें उन्होंने केजरीवाल को कई जानकारियां दी थीं। सिंह के मुताबिक यदि केजरीवाल किसी राजनीतिक दल के लिए ऐसा करने वाले होते, तो वह उन्हें ये जानकारियां कभी नहीं देते।
वाईपी सिंह ने कहा, "केजरीवाल का तरीका हिटलर जैसा है, जिन्होंने चुनावों को निगाह में रखकर पहले कांग्रेस और बाद में बीजेपी की छवि को धूमिल किया। केजरीवाल ने गलत कानूनी नुक्तों के आधार पर नितिन गडकरी पर आरोप लगाए हैं, लेकिन हम केजरीवाल जैसे नहीं हैं, जो आरोप लगाकर चुपचाप बैठ जाएं। हम औपचारिक रूप से एंटी करप्शन ब्यूरो में नवंबर के पहले हफ्ते में शरद पवार, अजित पवार, सुप्रिया सुले और उनके पति के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज कराएंगे।"
सिंह ने कहा, "हमारा दावा है कि शरद पवार ने लवासा को रियायतें दिलाने के लिए निजी प्रभुत्व का इस्तेमाल किया और अजित पवार ने भी लवासा को लाभ पहुंचाने के लिए बार-बार सरकारी कार्रवाई में हस्तक्षेप किया। इस घोटाले के तहत पवार परिवार को लगभग नगण्य कीमतों पर अरबों रुपये की जमीन दे दी गई।"
वाईपी सिंह ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने जांच उनके साथ मिलकर ही की थी, परंतु जो तथ्य इनकी जानकारी में आए थे, केजरीवाल उन्हें मीडिया के सामने नहीं लाए। जिस घोटाले की जानकारी दी गई, उससे भी कहीं बड़ा सिंचाई घोटाला छिपा लिया गया।
सिंह ने कहा, "अब यह मेरा कर्तव्य था कि चूंकि एक बहुत बड़े नेता को बचाने की कोशिश की जा रही है, तो मैं मीडिया को असलियत बता दूं। केजरीवाल भी ऐसा कर सकते थे और उनके पास सारी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सिंह ने दावा किया, भले ही मेरा विश्वास न कीजिए, परंतु जो सबूत मैं आपके सामने रख रहा हूं, उनकी जांच कीजिए। शरद पवार बहुत बड़ी राजनीतिक शख्सियत हैं और जांच के बाद आप तय करें कि क्या उन्हें केंद्र में मंत्री बने रहने का अधिकार है या नहीं।"
इन आरोपों के जवाब में शरद पवार ने कहा कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ है और मामला फिलहाल कोर्ट में हैं। जहां तक जमीन देने का सवाल है तो यह काम राज्य सरकार ने किया है। पवार ने वाईपी सिंह के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
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