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This Article is From Dec 31, 2013

अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार का ऐलान, 400 यूनिट तक बिजली की दर आधी होंगी

अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार का ऐलान, 400 यूनिट तक बिजली की दर आधी होंगी
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों को बिजली की बढ़ी दरों से बड़ी राहत देते हुए ऐलान किया है कि अब से 400 यूनिट तक की बिजली खपत पर दरें आधी होंगी। अपने चुनावी वादे पर अमल करते हुए आम आदमी पार्टी की सरकार ने यह दूसरा बड़ा ऐलान किया है। इससे पहले पानी की सप्लाई पर  दिल्ली सरकार अहम फैसला सुना चुकी है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट की बैठक के बाद बिजली पर सब्सिडी देने की घोषणा की जिससे अगले तीन महीनों में 61 करोड़ रूपये का खर्चा आएगा।

इस सब्सिडी से दिल्ली के 28 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। विधानसभा चुनावों से पहले बिजली पर सब्सिडी देना आप के प्रमुख वादों में से एक था। सरकार ने कहा है कि जो पहले से सब्सिडी दी जा रही थी, वह अब बढ़ा दी गई है और अब कुल मिलाकर दरें आधी हो जाएंगी।

साथ ही केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की बिजली कंपनियों को सीएजी से ऑडिट कराने के लिए कारण बताओ नोटिस भेज दिया गया है। केजरीवाल ने कहा कि सीएजी इस पूरे मामले में बिजली कंपनियों का ऑडिट करने को तैयार है।

गौरतलब है कि केजरीवाल और उनके सहयोगी पहले से दिल्ली में बिजली के वितरण में लगी तीन बड़ी निजी कंपनियों पर तमाम हेरफेर करने के आरोप लगाते रहे हैं। उनका आरोप था कि बिजली कंपनयां हेरफेर कर मुनाफे को घाटे में दिखाकर बिजली के दाम बढ़ाती जा रही हैं।

आपको बता दें कि दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लोगों से बिजली की दरों में 50 फीसदी की कटौती का वादा किया था। इस वादे को केजरीवाल जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं।

अनुमान है कि इसका फायदा इस तरह से दिल्ली में रहने वाली 70 फीसदी आबादी पर पड़ेगा।

केजरीवाल के बिजली दरों को आधा करने के वादे पर दिल्ली बिजली रेगुलेटिरी कमीशन (डीएमआरसी) के चेयरमैन पीडी सुधाकर ने अहम बयान दिया है। उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है कि दिल्ली सरकार को बिजली की दर कम करने का अधिकार नहीं है।

दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली तीन कंपनियां हैं, जिनमें से दो रिलायंस की हैं और एक टाटा की। तीनों बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार की 49 फीसीद हिस्सेदारी है। दिल्ली में खपत होने वाली 70 फीसदी बिजली बाहर से आती है।

तीनों बिजली कंपनियों की सालाना कमाई करीब 15 हजार करोड़ रुपये है। अगर सरकार बिजली के दाम 50 फीसदी कम करती है तो सरकार पर 7500 करोड़ का बोझ पड़ेगा।

बिजली कंपनियों का दावा है कि उन्हें 11 हजार करोड़ का नुक़सान हो रहा है। पिछले 10 साल में उनकी लागत 300 फीसदी बढ़ी है, जबकि उपभोक्ताओं को दी जा रही बिजली की दरें सिर्फ 70 फीसदी बढ़ी हैं। यह कहना कि सरप्लस बिजली से कंपनियां कमाई कर रही हैं, गलत है।

नॉन−पीक आवर में दिल्ली के पास 20 से 30 फीसदी सरप्लस बिजली होती है। यह बिजली केन्द्रीय बिजली नियामक आयोग की ओर से तय रेट पर ही ग्रिड में वापस जाती है।

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