किरेन रिजीजू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में बांध के निर्माण में भ्रष्टाचार के मामले की रिपोर्ट उजागर होने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मसले पर किरेन रिजीजू समेत केंद्र सरकार को घेरा. इसके अलावा जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने भी केंद्र सरकार पर और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू पर अपने ट्वीट के जरिये सवाल खड़े किए. ये संभवतया पहला मामला है जब 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद किरने रिजीजू के रूप में सरकार के किसी मंत्री का नाम भ्रष्टाचार के मामले में आया है.
इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए किरेन रिजीजू ने कहा, ''जिन्होंने भी ये स्टोरी प्लांट की है, ये बेहद शर्मनाक है? जिन्होंने भी इन खबरों को प्लान किया है, वे यदि वहां आ जाए जहां हम हैं तो उनको जूतों से जवाब मिलेगा. क्या यह भ्रष्टाचार है कि हम लोगों की सेवा करना चाहते हैं?'' उन्होंने NDTV से बातचीत में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मसले पर उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है.
क्या है मामला
'द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण में कथित रूप से भ्रष्टाचार किया गया. ये अरुणाचल प्रदेश के सबसे बड़े प्रोजेक्टों में शुमार है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. किरेन रिजीजू के कजिन गोबोई रिजीजू भी इस प्रोजेक्ट में कांट्रैक्टर हैं.
इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए. यह प्रोजेक्ट अरुणाचल के वेस्ट कामेंग जिले में पड़ता है. इसी संसदीय सीट से किरेन रिजीजू सांसद हैं.
सीवीओ ने इस साल जुलाई में अपनी रिपोर्ट सीबीआई, सीवीसी और ऊर्जा मंत्रालय को भेजी थी. उसमें कहा गया था कि कांट्रैक्टर, एनईईपीसीओ अधिकारियों और वेस्ट कामेंग जिला प्रशासन की मिली-भगत से भ्रष्टाचार किया गया. इसमें एनईईपीसीओ और सरकारी फंड के तकरीबन 450 करोड़ रुपये तक के फ्रॉड की बात कही गई.
रिपोर्ट मिलने के बाद सीबीआई ने दो बार औचक निरीक्षण किया लेकिन अभी तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई. इस रिपोर्ट के सामने के बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा का त्रिपुरा में सीआरपीएफ में ट्रांसफर कर दिया गया.
घोटाले में मुख्य रूप से यह बात निकलकर आई कि बांध के निर्माण के लिए बोल्डर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के नाम पर कांट्रैक्टर ने फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिलों को पेश किया. इसमें मुख्य रूप से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) के तमाम बिल फर्जी पाए गए. इस कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे.
वर्मा द्वारा प्रोजेक्ट हेड को अनियमितता की रिपोर्ट दिए जाने के बाद पिछले साल मई और जुलाई के इन बिलों की पेमेंट एनईईपीसीओ द्वारा रोक दी गई. उसके बाद नवंबर 2015 में किरेन रिजीजू ने ऊर्जा मंत्रालय को खत लिखकर पेमेंट रिलीज करने का आग्रह किया और उनके कजिन गोबोई रिजीजू ने वर्मा से मुलाकात की. नतीजतन कुछ पेमेंट रिलीज की गई.
इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए किरेन रिजीजू ने कहा, ''जिन्होंने भी ये स्टोरी प्लांट की है, ये बेहद शर्मनाक है? जिन्होंने भी इन खबरों को प्लान किया है, वे यदि वहां आ जाए जहां हम हैं तो उनको जूतों से जवाब मिलेगा. क्या यह भ्रष्टाचार है कि हम लोगों की सेवा करना चाहते हैं?'' उन्होंने NDTV से बातचीत में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मसले पर उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है.
Rijju's brother gets big contract from govt,Submits bogus bills for transporting boulders by scooters.CVO stops payment.Rijju says pay him! pic.twitter.com/dG8agGTIMn
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 13, 2016
Na Khaonga, Na Khane doonga Modiji?When honest CVO stops payment of corrupt contractor brother of Minister who is complicit, you remove CVO! pic.twitter.com/x9rRfxxuC8
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 13, 2016
क्या है मामला
'द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण में कथित रूप से भ्रष्टाचार किया गया. ये अरुणाचल प्रदेश के सबसे बड़े प्रोजेक्टों में शुमार है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. किरेन रिजीजू के कजिन गोबोई रिजीजू भी इस प्रोजेक्ट में कांट्रैक्टर हैं.
इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए. यह प्रोजेक्ट अरुणाचल के वेस्ट कामेंग जिले में पड़ता है. इसी संसदीय सीट से किरेन रिजीजू सांसद हैं.
सीवीओ ने इस साल जुलाई में अपनी रिपोर्ट सीबीआई, सीवीसी और ऊर्जा मंत्रालय को भेजी थी. उसमें कहा गया था कि कांट्रैक्टर, एनईईपीसीओ अधिकारियों और वेस्ट कामेंग जिला प्रशासन की मिली-भगत से भ्रष्टाचार किया गया. इसमें एनईईपीसीओ और सरकारी फंड के तकरीबन 450 करोड़ रुपये तक के फ्रॉड की बात कही गई.
रिपोर्ट मिलने के बाद सीबीआई ने दो बार औचक निरीक्षण किया लेकिन अभी तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई. इस रिपोर्ट के सामने के बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा का त्रिपुरा में सीआरपीएफ में ट्रांसफर कर दिया गया.
घोटाले में मुख्य रूप से यह बात निकलकर आई कि बांध के निर्माण के लिए बोल्डर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के नाम पर कांट्रैक्टर ने फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिलों को पेश किया. इसमें मुख्य रूप से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) के तमाम बिल फर्जी पाए गए. इस कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे.
वर्मा द्वारा प्रोजेक्ट हेड को अनियमितता की रिपोर्ट दिए जाने के बाद पिछले साल मई और जुलाई के इन बिलों की पेमेंट एनईईपीसीओ द्वारा रोक दी गई. उसके बाद नवंबर 2015 में किरेन रिजीजू ने ऊर्जा मंत्रालय को खत लिखकर पेमेंट रिलीज करने का आग्रह किया और उनके कजिन गोबोई रिजीजू ने वर्मा से मुलाकात की. नतीजतन कुछ पेमेंट रिलीज की गई.
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