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This Article is From Jan 17, 2020

निर्भया केस में एक और मोड़: दोषी पवन ने SC में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

निर्भया केस में एक और मोड़: दोषी पवन ने SC में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

निर्भया केस में एक और मोड़: दोषी पवन ने SC में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
निर्भया केस के सभी दोषी- (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

निर्भया मामले में एक और मोड़ आया है. निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी. हाईकोर्ट ने उसकी नाबालिग होने की याचिका खारिज कर दी थी. बता दें कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया. गृह मंत्रालय ने गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा था. इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से इस याचिका को नामंजूर करने की सिफारिश भी की थी. वहीं, निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के चारों दोषियों को गुरुवार को तिहाड़ जेल परिसर के कारावास नंबर तीन में स्थानांतरित किया गया जहां उन्हें फांसी पर लटकाया जाना है. मामले में दोषी विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है. हालांकि, दिल्ली सरकार ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया था कि एक दोषी की दया याचिका लंबित होने के मद्देनजर फांसी को स्थगित किया जाना चाहिए.

बता दें, निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषियों को फांसी में देरी पर गुरूवार को भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला जहां भाजपा ने फांसी में विलंब में दिल्ली सरकार की संलिप्तता और लापरवाही की बात कही तो ‘आप' ने भाजपा पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कानून व्यवस्था केंद्र के पास है. 

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा कि 2017 में मृत्युदंड के खिलाफ अपील को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के तत्काल बाद सभी दोषियों को अगर आप सरकार ने नोटिस दे दिया होता तो अब तक उन्हें फांसी हो चुकी होती और देश को इंसाफ मिल चुका होता. उन्होंने कहा, ‘अगर उन्हें अभी तक फांसी नहीं दी गयी है तो यह आप सरकार की लापरवाही की वजह से है. दिल्ली की आप सरकार की संलिप्तता की वजह से ढाई साल से अधिक की देरी हुई. दिल्ली सरकार को दोषियों से सहानुभूति है और यह देरी इसी का नतीजा है.'

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