नई दिल्ली:
दक्षिण बस्तर में काम कर रहे एक पत्रकार को पुलिस ने मंगलवार को सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और पैसों की गड़बड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया। प्रभात सिंह के करीबियों और परिवार वालों का कहना है कि उन्हें पुलिस ज्यादतियों और फर्जी मुठभेड़ों के बारे में रिपोर्टिंग करने और खुलकर बोलने की सज़ा मिल रही है। अदालत ने प्रभात को शनिवार तक जेल भेज दिया है। इससे पहले बस्तर के दो पत्रकार सोमारु नाग और संतोष यादव भी नक्सलियों के साथ साठगांठ के आरोप में जेल में बंद हैं।
इससे पहले पुलिस ने सादी वर्दी में प्रभात सिंह को दंतेवाड़ा में उनके दफ्तर से उठाया और मंगलवार दोपहर बाद तक उनका कोई पता नहीं था। उसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया जहां पुलिस ने उन पर आईटी एक्ट की धारा 67 और 67 (ए) और पैसों की गड़बड़ी के आरोप लगाये जिसमें कुछ पुराने मामले शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रभात सिंह ने पुलिस और पत्रकारों के एक ज्वांइट व्हाट्सऐप ग्रुप में बस्तर के आईजी की आलोचना करते हुये अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जिसके बाद पुलिस ने उनसे पूछताछ करनी शुरू की।
हालांकि प्रभात सिंह के वकील ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उन्होंने किसी तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि खुद पर किये गये हमलों का जवाब दिया जिसमें कोई अपशब्द नहीं था। सिंह के वकील का ये भी कहना है उनके मुवक्किल ने दंतेवाड़ा में अपने खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों को लेकर मुकदमा दर्ज कराने की अर्जी दी है। अब इस मामले में 26 तारीख को प्रभात सिंह को अदालत में पेश किया जायेगा।
बस्तर में पिछले कुछ वक्त से पत्रकारों की गिरफ्तारी या उन्हें धमकाये जाने को लेकर विवाद चल रहा है। दो पत्रकारों सोमारु नाग और संतोष यादव को नक्सलियों के साथ रिश्ते होने के आरोप में पुलिस ने छह महीने पहले गिरफ्तार किया था। दोनों पत्रकार अभी भी जेल में ही हैं। ‘यहां पिछले कुछ वक्त से पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ लिख रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है या उन्हें डराया धमकाया जा रहा है।’ एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया।
प्रभात सिंह पत्रिका के लिए लिखने के साथ साथ पिछले कुछ समय से ईटीवी के लिये रिपर्टिंग कर रहे थे। तीन दिन पहले ही ई-टीवी ने उन्हें बिना कारण बताये नौकरी से हटा दिया था। सूत्रों के मुताबिक पुलिस के दबाव के तहत प्रभात सिंह को हटाया गया और उसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई।
पिछले महीने वेबसाइट स्क्रोल डॉट इन के लिये लिख रही पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम को भी बस्तर छोड़ना पड़ा था। मालिनी ने भी फर्ज़ी मुठभेड़ों और पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी जिसके बाद जगदलपुर में उनके घर पर हमला हुआ और एक स्थानीय संगठन के सदस्यों ने उन पर बस्तर की छवि खराब करने का आरोप लगाया। पुलिस इस बारे में कोई बयान नहीं दे रही है।
इससे पहले पुलिस ने सादी वर्दी में प्रभात सिंह को दंतेवाड़ा में उनके दफ्तर से उठाया और मंगलवार दोपहर बाद तक उनका कोई पता नहीं था। उसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया जहां पुलिस ने उन पर आईटी एक्ट की धारा 67 और 67 (ए) और पैसों की गड़बड़ी के आरोप लगाये जिसमें कुछ पुराने मामले शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रभात सिंह ने पुलिस और पत्रकारों के एक ज्वांइट व्हाट्सऐप ग्रुप में बस्तर के आईजी की आलोचना करते हुये अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जिसके बाद पुलिस ने उनसे पूछताछ करनी शुरू की।
हालांकि प्रभात सिंह के वकील ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उन्होंने किसी तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि खुद पर किये गये हमलों का जवाब दिया जिसमें कोई अपशब्द नहीं था। सिंह के वकील का ये भी कहना है उनके मुवक्किल ने दंतेवाड़ा में अपने खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों को लेकर मुकदमा दर्ज कराने की अर्जी दी है। अब इस मामले में 26 तारीख को प्रभात सिंह को अदालत में पेश किया जायेगा।
बस्तर में पिछले कुछ वक्त से पत्रकारों की गिरफ्तारी या उन्हें धमकाये जाने को लेकर विवाद चल रहा है। दो पत्रकारों सोमारु नाग और संतोष यादव को नक्सलियों के साथ रिश्ते होने के आरोप में पुलिस ने छह महीने पहले गिरफ्तार किया था। दोनों पत्रकार अभी भी जेल में ही हैं। ‘यहां पिछले कुछ वक्त से पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ लिख रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है या उन्हें डराया धमकाया जा रहा है।’ एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया।
प्रभात सिंह पत्रिका के लिए लिखने के साथ साथ पिछले कुछ समय से ईटीवी के लिये रिपर्टिंग कर रहे थे। तीन दिन पहले ही ई-टीवी ने उन्हें बिना कारण बताये नौकरी से हटा दिया था। सूत्रों के मुताबिक पुलिस के दबाव के तहत प्रभात सिंह को हटाया गया और उसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई।
पिछले महीने वेबसाइट स्क्रोल डॉट इन के लिये लिख रही पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम को भी बस्तर छोड़ना पड़ा था। मालिनी ने भी फर्ज़ी मुठभेड़ों और पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी जिसके बाद जगदलपुर में उनके घर पर हमला हुआ और एक स्थानीय संगठन के सदस्यों ने उन पर बस्तर की छवि खराब करने का आरोप लगाया। पुलिस इस बारे में कोई बयान नहीं दे रही है।
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