 
                                            कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे एक और किसान ने आत्महत्या कर ली. सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के फतेहाबाद साहिब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने शनिवार को जहर खा लिया. उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा उनको अपने साथ अस्पताल ले गए. लेकिन देर शाम उनकी मौत हो गई.
खबरों के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर पर मेन स्टेज के सामने अमरिंदर सिंह नामक एक किसान ने आंदोलन में परेशान होकर जहर खा लिया. मरने से पहले अमरिंदर ने अपने साथियों को बताया कि सरकार हमारी बात नहीं सुनना चाहती, इसलिए मैं अपनी जान दे रहा हूं ताकि यह आंदोलन सफल हो सके. किसान को सोनीपत फेमस हॉस्पिटल इलाज के लिए लाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान शाम 7:15 बजे उसकी मौत हो गई. उसके बाद किसान के शव को सोनीपत सरकारी हॉस्पिटल मोर्चरी में भेज दिया गया. इस मौके पर सोनीपत पुलिस से सब इंस्पेक्टर देवेंद्र कुंडली थाने से पहुंचे. रविवार सुबह किसान के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा और उसके बाद उनके साथियों को शव सौंप दिया जाएगा. खबर मिलने तक किसान के परिवार और उसके घर का कोई अता पता नहीं लग पाया.
इससे पहले दो जनवरी को दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर एक और किसान ने आत्महत्या की. गाजियाबाद के यूपी गेट पर एक किसान ने शौचालय में सुसाइड कर लिया था. सुसाइड करने वाले किसान का नाम कश्मीर सिंह था और वह 75 साल के थे. सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा का जिक्र किया है. 21 दिसंबर को पंजाब के तरनतारन (Tarantaran) जिले से ताल्लुक रखने वाले 65 साल के एक किसान निरंजन सिंह ने जहर खाकर जान देने का प्रयास किया था.16 दिसंबर को करनाल से आए संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की थी. सुसाइड नोट में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये को लेकर उन्होंने सवाल उठाए थे. किसान आंदोलन में शामिल एक अधिवक्ता ने भी अपनी जान दे दी है.
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