यह ख़बर 15 अप्रैल, 2012 को प्रकाशित हुई थी

अन्नादेल मैदान पर सेना, हिमाचल सरकार आमने-सामने

खास बातें

  • हिमाचल प्रदेश में अन्नादेल मैदान को लेकर सेना और राज्य सरकार आमने-सामने हैं। रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह मैदान द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही सेना के अधिकार क्षेत्र में है।
शिमला:

हिमाचल प्रदेश में अन्नादेल मैदान को लेकर सेना और राज्य सरकार आमने-सामने हैं। रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह मैदान द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही सेना के अधिकार क्षेत्र में है।

मैदान पर बहुद्देश्यीय स्टेडियम बनाने के लिए इसे अपने कब्जे में लेने की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) की मांग को खारिज करते हुए सेना ने रविवार को कहा कि देश की सुरक्षा किसी खेल के लिए नजरअंदाज नहीं की जा सकती।

पश्चिमी कमान ने एक बयान जारी कर कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अन्नादेल मैदान का सेना के लिए रणनीतिक महत्व है और इसे किसी भी खेल के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

सेना ने स्पष्ट किया कि मैदान आपदा प्रबंधन एवं राहत अभियान शुरू करने के लिए बेस के रूप में काम करता है। सेना इस मैदान के नागरिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देती।

वहीं, एचपीसीए के अध्यक्ष व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद तथा मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने जमीन स्थानीय प्रशासन को देने की मांग को लेकर सात अप्रैल को शिमला में रैली निकाली।

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इस बारे में धूमल ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय लोगों के समूह 'सिटिजन फोरम अन्नादेल' की ओर से तैयार किया गया मांग-पत्र केंद्र सरकार को सौंपेगी, जिसमें बहुद्देश्यीय स्टेडियम के निर्माण के लिए जमीन राज्य सरकार को लौटाने की मांग की गई है।