अमित शाह का 9 अगस्त को बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया.
नई दिल्ली:
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को राज्यसभा सांसद बन गए हैं. पहली बार संसद में पहुंचे शाह ने इसके ठीक एक दिन बाद यानि आज (9 अगस्त) को बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया. शाह ने इन तीन सालों में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया.
तीन साल पहले 2014 में किसी ने कल्पना नहीं की थी की बीजेपी इस तरह निरंतर आगे बढ़ेगी और सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन जाएगी. अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने बीजेपी को इस मुकाम पर पहुंचा दिया है. अब देश के 13 राज्यों में बीजेपी की सत्ता है. पांच प्रदेशों में बीजेपी के सहयोगी दलों की सरकारें हैं.
अमित शाह जिनका पूरी नाम अमित अनिलचंद्र शाह है, ने 2014 में अध्यक्ष बनने के साथ तय किया था कि केंद्र सरकार के पांच साल पूरे होने से पहले वे राज्यसभा में पार्टी को बहुमत में पहुंचा देंगे. इसी उद्देश्य से उन्होंने छह बड़े और जम्मू कश्मीर सहित नॉर्थ-ईस्ट के कुल आठ छोटे राज्यों को अपनी प्रथामिकता में रखा. बड़े राज्यों में यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने का लक्ष्य बनाया. शाह की पार्टी के विस्तार की रणनीति के बलबूते ही असम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी. उधर दक्षिण में केरल विधानसभा में भी बीजेपी की मौजूदगी दर्ज हुई.
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अमित शाह पार्टी की लोकप्रियता के लिए लोकलुभावन योजनाओं पर नहीं बल्कि सख्त लेकिन दूरगामी परिणाम देने वाले फैसलों पर भरोसा करते हैं. वे मानते हैं कि सरकार को नोटबंदी जैसे अच्छे फैसले लेना चाहिए.
बीजेपी का कायाकल्प करने वाले अमित शाह ने पिछले तीन सालों में देश के करीब हर राज्य का दौरा किया. उन्होंने रोज करीब 500 किलोमीटर से अधिक सफर किया और उसमें में भी ज्यादातर सड़कों से यात्रा की. इस अरसे में शाह ने पांच सौ से अधिक रैलियां कीं. वे बीजेपी के ऐसे पहले अध्यक्ष हैं जिन्होंने 110 दिनों तक निरंतर देश के अलग-अलग हिस्सों केदौरे किए.
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अमित शाह के अध्यक्ष बनने से पहले आम धारणा थी कि बीजेपी सवर्णों की पार्टी है. शाह ने यह धारणा तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण पहल की. उन्होंने कार्यकर्ता और पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए ओबीसी मोर्चा का गठन किया. पिछड़े वर्ग के कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारियां भी दीं. कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच संवादहीनता समाप्त करने के लिए जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया. आठ लाख से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को बाकायदा ट्रेनिंग देने के प्रक्रिया शुरू कराई. इससे निचले स्तर से पार्टी को मजबूती मिली.
आरएसएस में फुल टाइम कार्यकर्ता होते हैं. शाह ने यह व्यवस्था बीजेपी में लागू की. इससे करीब चार लाख समर्पित कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए. यह कार्यकर्ता 15 दिन, छह माह और साल भर के लिए अनजान स्थानों पर जाकर पार्टी के लिए दिन-रात काम करते हैं.
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अमित शाह ने पार्टी की आम जन से नजदीकी बढ़ाने के लिए वीआईपी कल्चर खत्म करने की वकालत की. वे खुद तो सड़क और रेल मार्ग से सफर करते ही हैं पार्टी के नेताओं से भी कहतचे हैं कि जनता के नजदीक बढ़ाने के लिए हवाई जहाज की जगह ट्रेन या सड़क के जरिए सफर करें. वे यह भी कहते हैं कि नेता रात में होटल की जगह शोषित, वंचित वर्ग के कार्यकर्ताओं के घर पर रुकें.
अमित शाह यूपी के लोक सभा चुनाव 2014 में बीजेपी की जीत के प्रमुख रणनीतिकार और शख्सियत बनकर उभरे. इसके बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई. अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उस मुकाम पर हैं जहां फिलहाल उनका कोई विकल्प नजर नहीं आता.
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मुंबई में 1964 को जन्मे अमित शाह के पिता अनिलचंद्र शाह अमेरिका के शिकागो शहर में व्यवसाय करते थे. अमित शाह ने बॉयोकेमेस्ट्री में बीएससी की. बाद में वे अपने पिता के व्यवसाय से जुड़ गए. आगे चलकर उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से बीजेपी में प्रवेश किया. उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य भी बनाया गया था. वे कुछ समय तक स्टॉक ब्रोकर का काम करते रहे और इसी दौरान वे आरएसएस से जुड़े एवं बीजेपी के सदस्य भी बन गए. इसी दौरान वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीब आए. उन्होंने गांधीनगर क्षेत्र के संसदीय चुनाव में आडवाणी के साथ चुनाव प्रचार किया.
VIDEO : जब सांसदों की लग गई क्लास..
अमित शाह गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष और गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे. गुजरात के सबसे चर्चित और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के प्रमुख आरोपी अमित शाह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी सबसे चहेते माने जाते हैं.
तीन साल पहले 2014 में किसी ने कल्पना नहीं की थी की बीजेपी इस तरह निरंतर आगे बढ़ेगी और सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन जाएगी. अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने बीजेपी को इस मुकाम पर पहुंचा दिया है. अब देश के 13 राज्यों में बीजेपी की सत्ता है. पांच प्रदेशों में बीजेपी के सहयोगी दलों की सरकारें हैं.
अमित शाह जिनका पूरी नाम अमित अनिलचंद्र शाह है, ने 2014 में अध्यक्ष बनने के साथ तय किया था कि केंद्र सरकार के पांच साल पूरे होने से पहले वे राज्यसभा में पार्टी को बहुमत में पहुंचा देंगे. इसी उद्देश्य से उन्होंने छह बड़े और जम्मू कश्मीर सहित नॉर्थ-ईस्ट के कुल आठ छोटे राज्यों को अपनी प्रथामिकता में रखा. बड़े राज्यों में यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने का लक्ष्य बनाया. शाह की पार्टी के विस्तार की रणनीति के बलबूते ही असम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी. उधर दक्षिण में केरल विधानसभा में भी बीजेपी की मौजूदगी दर्ज हुई.
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अमित शाह पार्टी की लोकप्रियता के लिए लोकलुभावन योजनाओं पर नहीं बल्कि सख्त लेकिन दूरगामी परिणाम देने वाले फैसलों पर भरोसा करते हैं. वे मानते हैं कि सरकार को नोटबंदी जैसे अच्छे फैसले लेना चाहिए.
बीजेपी का कायाकल्प करने वाले अमित शाह ने पिछले तीन सालों में देश के करीब हर राज्य का दौरा किया. उन्होंने रोज करीब 500 किलोमीटर से अधिक सफर किया और उसमें में भी ज्यादातर सड़कों से यात्रा की. इस अरसे में शाह ने पांच सौ से अधिक रैलियां कीं. वे बीजेपी के ऐसे पहले अध्यक्ष हैं जिन्होंने 110 दिनों तक निरंतर देश के अलग-अलग हिस्सों केदौरे किए.
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अमित शाह के अध्यक्ष बनने से पहले आम धारणा थी कि बीजेपी सवर्णों की पार्टी है. शाह ने यह धारणा तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण पहल की. उन्होंने कार्यकर्ता और पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए ओबीसी मोर्चा का गठन किया. पिछड़े वर्ग के कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारियां भी दीं. कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच संवादहीनता समाप्त करने के लिए जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया. आठ लाख से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को बाकायदा ट्रेनिंग देने के प्रक्रिया शुरू कराई. इससे निचले स्तर से पार्टी को मजबूती मिली.
आरएसएस में फुल टाइम कार्यकर्ता होते हैं. शाह ने यह व्यवस्था बीजेपी में लागू की. इससे करीब चार लाख समर्पित कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए. यह कार्यकर्ता 15 दिन, छह माह और साल भर के लिए अनजान स्थानों पर जाकर पार्टी के लिए दिन-रात काम करते हैं.
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अमित शाह ने पार्टी की आम जन से नजदीकी बढ़ाने के लिए वीआईपी कल्चर खत्म करने की वकालत की. वे खुद तो सड़क और रेल मार्ग से सफर करते ही हैं पार्टी के नेताओं से भी कहतचे हैं कि जनता के नजदीक बढ़ाने के लिए हवाई जहाज की जगह ट्रेन या सड़क के जरिए सफर करें. वे यह भी कहते हैं कि नेता रात में होटल की जगह शोषित, वंचित वर्ग के कार्यकर्ताओं के घर पर रुकें.
अमित शाह यूपी के लोक सभा चुनाव 2014 में बीजेपी की जीत के प्रमुख रणनीतिकार और शख्सियत बनकर उभरे. इसके बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई. अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उस मुकाम पर हैं जहां फिलहाल उनका कोई विकल्प नजर नहीं आता.
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मुंबई में 1964 को जन्मे अमित शाह के पिता अनिलचंद्र शाह अमेरिका के शिकागो शहर में व्यवसाय करते थे. अमित शाह ने बॉयोकेमेस्ट्री में बीएससी की. बाद में वे अपने पिता के व्यवसाय से जुड़ गए. आगे चलकर उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से बीजेपी में प्रवेश किया. उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य भी बनाया गया था. वे कुछ समय तक स्टॉक ब्रोकर का काम करते रहे और इसी दौरान वे आरएसएस से जुड़े एवं बीजेपी के सदस्य भी बन गए. इसी दौरान वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीब आए. उन्होंने गांधीनगर क्षेत्र के संसदीय चुनाव में आडवाणी के साथ चुनाव प्रचार किया.
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अमित शाह गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष और गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे. गुजरात के सबसे चर्चित और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के प्रमुख आरोपी अमित शाह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी सबसे चहेते माने जाते हैं.
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