जब रवीश कुमार ने अमित शाह का किया था इंटरव्यू, देखें Video

रवीश कुमार ने साल 2007 में अमित शाह का एक इंटरव्यू किया था, जिसका जिक्र उन्होंने प्राइम टाइम में किया.

नई दिल्ली:

रवीश कुमार ने साल 2007 में अमित शाह का एक इंटरव्यू किया था, जिसका जिक्र उन्होंने प्राइम टाइम में किया. उन्होंने बताया कि 2007 का साल था. मैं नया नया रिपोर्टर था. गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे. मेरी तैनाती अमित शाह के घर पर हुई थी. 2014 के बाद से मेरी  अमित शाह  से कोई मुलाकात नहीं. इस बार जब 2019 में नतीजे आ रहे थे जब बीजेपी ने चैनलों में भेजने के लिए 48 प्रवक्ताओं के जो रोस्टर बनाए थे उसमें एक भी प्रवक्ता का नाम मेरे कार्यक्रम के लिए नहीं था मगर मैं 2007 के साल में अमित शाह के घर में था. बिल्कुल भीतर. उसी लाल माइक के साथ. अमित शाह जब अपनी मां का आशीर्वाद लेकर मतगणना केंद्र जा रहे हैं, उनके पांव छू रहे हैं तब मैं अमित शाह के घर के भीतर था. मैं आपको दिखाना चाहता हूं. रिजल्ट से पहले अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी को दो तिहाई सीटें आएंगी और रिज़ल्ट भी ऐसा ही हुआ था.

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न मैं बदला न अमित शाह. अमित शाह के इस जवाब से आप उनकी राजनीति की शैली को समझ सकते हैं. शायद प्रायश्चित की कोई जगह नहीं. लेकिन अमित शाह को मैंने दिल्ली के विधानसभा चुनावों में 100-50 कार्यकर्ताओं को संबोधित करते देखा था. मुझे लगा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इतनी कम भीड़ देखकर लौट जाएंगे मगर अमित शाह ने दक्षिण दिल्ली के इलाके का अपना कार्यक्रम पूरा किया था. अमित शाह सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. एक राजनेता की जीवन यात्रा दिलचस्प होती है. वह कब किताब बन जाए और कब किताब का फुटनोट्स कोई नहीं जानता. जो नेता होता है वह फुटनोट्स में भी रहता है और किताब भी बन जाता है.

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अमित शाह ने बीजेपी को भी बदल दिया है. दर्जनों ज़िलों में बीजेपी का नया दफ्तर बनाया गया. अमित शाह ने इनकी योजना बनाई और अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले देश के कई ज़िलों में बीजेपी का नया दफ्तर बन कर तैयार हो गया. दूसरी पार्टी के नेताओं के बारे में हमने सुना है कि पार्टी का पैसा लेकर दूसरे दल में भाग गए मगर अमित शाह के निर्देशन में बीजेपी के कई नए दफ्तर बने. दिल्ली का मुख्यालय भव्य तो है ही. इन दफ्तरों से भी एक नई राजनीतिक व्यवस्था का अंदाज़ा हो जाना चाहिए था. अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि अपने प्रदर्शनों, गतिविधियों का पूरा रिकॉर्ड रखें. ताकि आने वाली पीढ़ि के लोग उसे देख सकें. रिसर्च कर सकें क्योंकि ज़ुबानी इतिहास पर कोई यकीन नहीं रखता. शीला भट्ट के लेख में ये लाइन पढ़कर हैरानी भी हुई. इतिहास के मूल विषयों को ज़ुबानी तौर पर बदल देने वाले अमित शाह अपनी पार्टी के इतिहास में तथ्यों और सोर्स को कितनी गंभीरता से लेते हैं. 

VIDEO: अमित शाह का 2007 का इंटरव्‍यू रवीश कुमार के साथ...

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