यह ख़बर 24 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कुडनकुलम प्लांट के विरोध के पीछे अमेरिकी एनजीओ का हाथ: पीएम

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु के कुडनकुलम में बन रहे न्यूक्लियर प्लांट को लेकर हो रहे विरोध के पीछे अमेरिकी एनजीओ का हाथ बताया है।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु के कुडनकुलम में बन रहे न्यूक्लियर प्लांट को लेकर हो रहे विरोध के पीछे अमेरिकी एनजीओ का हाथ बताया है। यह बात प्रधानमंत्री ने एनडीटीवी के साइंस एडिटर पल्लव बागला को दिए इंटरव्यू में कही, जो उन्होंने अमेरिकी जर्नल 'साइंस' के लिए ली है।

आज प्रकाशित होने वाले इस इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने साफ कहा है कि अमेरिका की गैर-सरकारी संस्थाएं रूस की मदद से चलाए जा रहे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के रास्ते में रोड़े अटका रही हैं। ये एनजीओ भारत की ऊर्जा जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए स्थानीय एनजीओ के जरिए विरोध को हवा दे रहे हैं। कुडनकुलम में विरोध−प्रदर्शनों के चलते 1,000 मेगावॉट के दो परमाणु रिएक्टरों का काम रुका पड़ा है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत को अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए बायोटेक्नोलॉजी की जरूरत है, लेकिन ये एनजीओ अनुवांशिक रूप से विकसित फूड का भी विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों की की टीम बनाकर कुडनकुलम के निवासियों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की, लेकिन इसके बाद भी विरोध जारी है।

प्रधानमंत्री ने अपने रूस दौरे के समय जब प्लांट को जल्द शुरू करने की बात कही, तो कुडनकुलम में स्थानीय लोगों ने काले झंडे लहराकर अपना विरोध जताया। प्लांट का कामकाज ठप पड़ा है और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भी चाहती हैं कि प्लांट शुरू होने से पहले लोगों की चिंता दूर की जाए।

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कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट भारत के लिए बहुत अहमियत रखता है। रूस के साथ करार के तहत बन रहे ये रिएकटर्स भारत की बिजली जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है। इससे पैदा हुई ऊर्जा से बिजली बनेगी, जिससे कोई प्रदूषण नहीं फैलेगा। ये प्लांट लगभग बनकर तैयार है और कमीशन होने के बेहद नजदीक है और अगर ये चालू नहीं होता है तो इसका असर बाकी न्यूक्लियर प्लांट परियोजनाओं पर भी पड़ सकता है।