सुप्रीम कोर्ट की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं को नसीहत दी है कि पत्रकारों को अभिव्यक्ति की आजादी की अनुमति दी जानी चाहिए. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि रिपोर्टिंग में कुछ गलती हो सकती है, लेकिन इसे हमेशा के लिए पकड़कर नहीं रखा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही बिहार की एक पूर्व विधायक की याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी बिहार की एक पूर्व विधायक की याचिका पर की, जिसमें पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. दरअसल पटना हाईकोर्ट ने पिछले साल सितंबर में एक हिंदी चैनल के खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द कर दिया था.
'अभिव्यक्ति की आजादी' पर बोले अमित शाह- पीएम का विरोध कर सकते हैं लेकिन देश का विरोध नहीं करें
याचिकाकर्ता का कहना था कि चैनल ने अवैध तरीके से भूमि आवंटन की खबर दिखाई थी जो कि गलत था और इसलिए चैनल पर आपराधिक मानहानि का मामला फिर से चलना चाहिए. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी दी जानी चाहिए. हो सकता है कि रिपोर्टिंग में कुछ गलत हो, लेकिन इसे हमेशा के लिए पकड़े नहीं रखा जा सकता. वैसे भी मामला 10 साल पुराना है.
VIDEO : अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा कहां तक?
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
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याचिकाकर्ता का कहना था कि चैनल ने अवैध तरीके से भूमि आवंटन की खबर दिखाई थी जो कि गलत था और इसलिए चैनल पर आपराधिक मानहानि का मामला फिर से चलना चाहिए. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी दी जानी चाहिए. हो सकता है कि रिपोर्टिंग में कुछ गलत हो, लेकिन इसे हमेशा के लिए पकड़े नहीं रखा जा सकता. वैसे भी मामला 10 साल पुराना है.
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सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
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