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This Article is From May 21, 2017

हम गोरक्षा का समर्थन करते हैं, लेकिन कानून हाथ में लेने वालों से हमारा कोई संबंध नहीं : नितिन गडकरी

केंद्र की मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं. तीन सालों के कार्यकाल के दौरान कई तरह की चुनौतियां आईं और उनका सामना केंद्र सरकार कैसे कर रही है. इन सब मुद्दों पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की एनडीटीवी के कंसल्टिंग एडिटर विक्रम चंद्रा ने। गोरक्षा के नाम पर हो रहे हंगामे, पाकिस्तान से भारत के रिश्ते जैसे मुद्दों पर उन्होंने अपना पक्ष रखा.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने साफ किया कि हमारे संगठन में क़ानून हाथ में लेकर काम नहीं करना चाहता...

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं. तीन सालों के कार्यकाल के दौरान कई तरह की चुनौतियां आईं और उनका सामना केंद्र सरकार कैसे कर रही है. इन सब मुद्दों पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की एनडीटीवी के कंसल्टिंग एडिटर विक्रम चंद्रा ने। गोरक्षा के नाम पर हो रहे हंगामे, पाकिस्तान से भारत के रिश्ते जैसे मुद्दों पर उन्होंने अपना पक्ष रखा.

गोरक्षा के नाम पर हाल ही में हुई कई मारपीट के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई भी भगवा पहनकर कुछ भी करे तो हम बदनाम होंगे? नितिन गडकरी क़ानून को हाथ में लेकर हम काम नहीं करते. उन्होंने प्रश्न के लहजे में पूछा कि क्या इस तरह की घटना यूपीए सरकार में नहीं होती थी. गडकरी ने साफ किया कि क़ानून हाथ में लेकर काम करना हमारे संगठन में कोई नहीं चाहता.

बातचीत का क्रम बदलते हुए गडकरी ने पाक पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि तीन बार लड़ाई में हारने के बाद पाक को पता है कि वो हमसे जीत नहीं सकते. पाक जीत नहीं सकता इसलिए घुसपैठ की कोशिशें करता है. पाक आतंकियों को भारत भेजता है और आतंक फैलाता है. पाकिस्तान किसी तरह भारत को परेशान करना चाहता है.

सरकार की उपलब्धियों का किया बखान
गडकरी ने दावा किया जो UPA ने 10 साल में नहीं किया वो हमने 3 साल में किया. जनता को हमसे अभी और उम्मीदें हैं. हमारी सरकार में पारदर्शिता और ईमानदारी है. आने वाले समय में हम और अच्छा काम करके दिखाएंगे.

न्यायालय की सक्रियता पर गडकरी ने कहा कि कुछ फ़ैसले ऐसे होते हैं जो अव्यवहारिक होते हैं. उन्होंने टिप्पणी कि क्रिकेट का मैच कैसे होगा, ये भी कोर्ट तय करेगा? 'आख़िर हम सड़क बनाए कहां? सब जगह पर्यावरण की समस्या आ जाती है'. कहीं जंगल है, कहीं तालाब, कहीं बागीचा तो आख़िर सड़क बनाए कहां? पर कुछ फैसले ऐसे होते हैं जो अव्यवहारिक होते हैं.  

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