जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में करीब पांच महीने बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है. 2G मोबाइल इंटरनेट सेवाओं की बहाली के साथ ही कुछ पाबंदियां जरूर लगाई गई हैं. मसलन प्रशासन की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार, घाटी के लोग 301 वेबसाइट्स ही एक्सेस कर सकेंगे. सोशल मीडिया साइट्स पर पाबंदी जारी रहेगी. जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बहाली पर दक्षिण और केंद्रीय एशियाई मामलों की अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक एलिस वेल्स (Alice Wells) ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'कश्मीर में इंटरनेट सेवा की आंशिक बहाली जैसे प्रगतिशील कदम से मैं खुश हूं. हम लगातार सरकार से अनुरोध करेंगे कि वो हमारे राजनयिकों को नियमित पहुंच की अनुमति दें और बिना किसी आरोप के हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाएं.'
एलिस वेल्स ने आगे कहा, 'यात्राएं अक्सर ज्यादा सुनने और समझने का मौका देती हैं, खासतौर से भारत के नागरिकता कानून (CAA) को लेकर, इस मुद्दे पर देश जबरदस्त तरीके से लोकतांत्रिक समीक्षा के दौर से गुजर रहा है, फिर चाहे वो विपक्ष के द्वारा सड़कों पर हो, मीडिया में हो या अदालत में.' वेल्स ने हाल ही में 15 देशों के राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे को महत्वपूर्ण बताया था. उन्होंने घाटी में इंटरनेट बैन और नेताओं की हिरासत पर चिंता व्यक्त की थी. दौरे को लेकर उन्होंने कहा था कि उन्हें यकीन है कि राजनयिकों के कश्मीर दौरे के बाद घाटी के हालात सामान्य होने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
US Principal Dy Asst Secy of State for South&Central Asia: Was Pleased to see incremental steps like partial return of internet service in Kashmir. We continue to urge govt to permit regular access by our diplomats&move swiftly to release political leaders detained without charge https://t.co/QUZca4RXNV
— ANI (@ANI) January 25, 2020
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बताते चलें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों और नेताओं की नजरबंदी को लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते में सभी पाबंदियों की समीक्षा का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है. इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत आता है. यह आर्टिकल-19 के तहत आता है. इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है. इसे बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए. फिलहाल के लिए जहां जरूरत हो वहां तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सेवाएं शुरू की जाएं.
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गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया गया था. जम्मू-कश्मीर में तब से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. सिर्फ ब्रॉडबैंड से ही संपर्क कायम है. सरकार ने लैंडलाइन फोन और पोस्टपेड मोबाइल सेवा भी हाल में ही शुरू की है. विपक्षी दल जम्मू-कश्मीर के हालातों को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं. पाकिस्तान भी इस मुद्दे को लेकर विदेशी मंच पर भारत को घेरने की कोशिश करता आ रहा है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के मुनीर अकरम ने घाटी के हालातों को लेकर भारत पर कई आरोप लगाए. जिसके बाद UN में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ झूठ फैलाना बंद कर देना चाहिए. वह भारत के खिलाफ झूठी कहानियां गढ़ता है. ऐसा कर वह अपनी परेशानी को छुपाने की कोशिश करता है. आज पाकिस्तान बुराई का प्रतीक बन चुका है. (इनपुट ANI से भी)
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