समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा मुखिया मायावती और उनकी पार्टी बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगवाने पर आया खर्च सरकारी खजाने को लौटाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से दूरी बनाते हुए शुक्रवार को कहा कि बीएसपी नेता के वकील अदालत में अपना पक्ष जरूर रखेंगे. अखिलेश ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है, अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. 'मैं समझता हूं कि बसपा नेता के वकील अपना पक्ष रखेंगे. यह कोई शुरुआती टिप्पणी हो सकती है मेरी जानकारी में अभी नहीं है.' अखिलेश से सुप्रीम कोर्ट की शुक्रवार को की गयी उस टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया था जिसमें उसने कहा है 'हमारा ऐसा विचार है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा.' प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
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साल 2012 में अपने शासनकाल में मायावती की क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलवाने के एक सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा ''हमें उन्हें सम्मान देना था, इसीलिये दूसरी मूर्ति लगवायी थी. यह क्या बात हुई. सम्मान देना समाजवादियों का काम है. समाजवादी इसी रास्ते पर चलेंगे.'' उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा कि सपा-बीएसपी का गठबंधन जनता का गठबंधन है. एक-दूसरे के सम्मान का गठबंधन है, इसलिये यह चलेगा.
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