मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के खिलाफ आवाजें उठाई हैं.
नई दिल्ली:
तीन तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सर्वोच्च अदालत द्वारा अपने पक्ष में निर्णय आने की उम्मीद जताते हुए कहा कि अदालत का जो भी फैसला होगा उसे वह स्वीकार करेगा तथा निर्णय आने के बाद आगे की रणनीति तय करेगा.
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा, ‘‘अदालत का फैसला आने के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा. वैसे हमने न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखा है और ऐसे में बेहतर होने की उम्मीद की जानी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का जो भी फैसला होगा, वो हम मानेंगे. अदालत कोई आंख बंद करके फैसला नहीं करने जा रही है, यह तय है. यह कोई ऐसा मसला नहीं है जिसमें कोई उलझाव पैदा हो. अदालत ने जो कहा वो हमने कर दिया.’’ गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने तीन तलाक के मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
यह पूछे जाने पर कि अदालत का फैसला बोर्ड के रूख के खिलाफ आने पर क्या 1980 के दशक के शाह बानो प्रकरण की तरह के हालात पैदा हो सकते हैं तो मौलाना रहमानी ने कहा, ‘‘इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उस वक्त के हालात दूसरे थे, इस समय हालात दूसरे हैं. जब तक अदालत का निर्णय नहीं आ जाता तब तक कुछ कहना या फैसला करना मुश्किल है.’’ तीन तलाक पर देश की मीडिया के रूख को लेकर कटाक्ष करते हुए रहमानी ने कहा, ‘‘मीडिया के रूख को देखकर ऐसा लगता है कि भारत का सबसे अहम मामला तीन तलाक है. पिछले डेढ़ साल से टीवी पर यही बहस चल रही है. मीडिया का अपना बिजनेस है और वह इसी को ध्यान में रखकर बहस कर रहा है.’’ बोर्ड पर उठाए जा रहे सवालों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘बोर्ड के बारे में लोग अपने हिसाब से बातें करते हैं. कभी कहते हैं कि बोर्ड रूढीवादी है और कभी कहते हैं कि वह सुधार करना चाहता है. लोगों को जो कहना है वो कहेंगे। हम लोगों को बोलने से तो रोक नहीं सकते.’’
मौलाना वली रहमानी ने दावा किया कि तीन तलाक के मामले में मुस्लिम समुदाय का रुख पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है. उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय का रुख स्पष्ट है. बोर्ड के पक्ष में चार करोड़ 80 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. इनमें दो करोड़ 72 लाख महिलाओं के हस्ताक्षर शामिल हैं. इससे साफ है कि समुदाय का रूख किस तरफ है.’’ तीन तलाक के मामले पर पाकिस्तान और कुछ दूसरे मुस्लिम देशों द्वारा उठाए गए कदमों का हवाला दिए जाने पर मौलाना रहमानी ने कहा, ‘‘गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं. चीजें मौजूद हैं, लेकिन सही ढंग से बताई नहीं जा रही हैं. लोग पाकिस्तान का नाम ले रहे हैं. हम कोई पाकिस्तान के पिछलग्गू थोड़े हैं.’’ देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए रहमानी ने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाएं बहुत गंभीर हैं. इस पर बहस नहीं हो रही है. सब खामोश हैं. इसको लेकर सरकारों को कड़े कदम उठाने चाहिए.’’
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा, ‘‘अदालत का फैसला आने के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा. वैसे हमने न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखा है और ऐसे में बेहतर होने की उम्मीद की जानी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का जो भी फैसला होगा, वो हम मानेंगे. अदालत कोई आंख बंद करके फैसला नहीं करने जा रही है, यह तय है. यह कोई ऐसा मसला नहीं है जिसमें कोई उलझाव पैदा हो. अदालत ने जो कहा वो हमने कर दिया.’’ गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने तीन तलाक के मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
यह पूछे जाने पर कि अदालत का फैसला बोर्ड के रूख के खिलाफ आने पर क्या 1980 के दशक के शाह बानो प्रकरण की तरह के हालात पैदा हो सकते हैं तो मौलाना रहमानी ने कहा, ‘‘इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उस वक्त के हालात दूसरे थे, इस समय हालात दूसरे हैं. जब तक अदालत का निर्णय नहीं आ जाता तब तक कुछ कहना या फैसला करना मुश्किल है.’’ तीन तलाक पर देश की मीडिया के रूख को लेकर कटाक्ष करते हुए रहमानी ने कहा, ‘‘मीडिया के रूख को देखकर ऐसा लगता है कि भारत का सबसे अहम मामला तीन तलाक है. पिछले डेढ़ साल से टीवी पर यही बहस चल रही है. मीडिया का अपना बिजनेस है और वह इसी को ध्यान में रखकर बहस कर रहा है.’’ बोर्ड पर उठाए जा रहे सवालों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘बोर्ड के बारे में लोग अपने हिसाब से बातें करते हैं. कभी कहते हैं कि बोर्ड रूढीवादी है और कभी कहते हैं कि वह सुधार करना चाहता है. लोगों को जो कहना है वो कहेंगे। हम लोगों को बोलने से तो रोक नहीं सकते.’’
मौलाना वली रहमानी ने दावा किया कि तीन तलाक के मामले में मुस्लिम समुदाय का रुख पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है. उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय का रुख स्पष्ट है. बोर्ड के पक्ष में चार करोड़ 80 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. इनमें दो करोड़ 72 लाख महिलाओं के हस्ताक्षर शामिल हैं. इससे साफ है कि समुदाय का रूख किस तरफ है.’’ तीन तलाक के मामले पर पाकिस्तान और कुछ दूसरे मुस्लिम देशों द्वारा उठाए गए कदमों का हवाला दिए जाने पर मौलाना रहमानी ने कहा, ‘‘गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं. चीजें मौजूद हैं, लेकिन सही ढंग से बताई नहीं जा रही हैं. लोग पाकिस्तान का नाम ले रहे हैं. हम कोई पाकिस्तान के पिछलग्गू थोड़े हैं.’’ देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए रहमानी ने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाएं बहुत गंभीर हैं. इस पर बहस नहीं हो रही है. सब खामोश हैं. इसको लेकर सरकारों को कड़े कदम उठाने चाहिए.’’
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