नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसानों का आंदोलन चल रहा है, लेकिन केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ख़ामोश हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह इसके पीछे असामाजिक तत्वों का हाथ देख रहे हैं जबकि ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर इसके लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. गुरुवार को मंदसौर से शाजापुर तक मध्य प्रदेश जलता रहा और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के मोतिहारी में योग गुरु रामदेव के साथ हठ योग में लगे रहे. पांच किसानों की मौत पर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. बेशक, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आंदोलनकारियों को भड़काए जाने का आरोप लगाया. गृह मंत्री ने दावा किया कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं और हालात को काबू में कर लेंगे.
राजनाथ सिंह ने जो खुल कर नहीं कहा, वो एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कह दिया. उन्होंने इस हंगामे के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया. तोमर ने एनडीटीवी से कहा, "राहुल गांधी का रवैया गैर-ज़िम्मेदाराना रहा है... कांग्रेस के लोग हिंसा को भड़का रहे हैं."
दरअसल केंद्र सरकार इस पूरे मामले में दख़ल देने से बच रही है- बताती हुई कि ये राज्य सरकार का मामला है. और कानून व्यवस्था और कृषि दोनों ही राज्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. लेकिन ऐसे वक्त पर जब कई राज्यों और ज़िलों में किसानों की नाराज़गी हिंसक प्रदर्शनों में बदल रही है, तब केन्द्र सरकार के लिए इससे आंखें मूंदे रहना ख़तरनाक हो सकता है. हालात पर काबू पाने के लिए अगर जल्दी बड़े स्तर पर राजनीतिक पहल नहीं शुरू की गयी...तो हालात को संभालना मुश्किल हो सकता है.
राजनाथ सिंह ने जो खुल कर नहीं कहा, वो एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कह दिया. उन्होंने इस हंगामे के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया. तोमर ने एनडीटीवी से कहा, "राहुल गांधी का रवैया गैर-ज़िम्मेदाराना रहा है... कांग्रेस के लोग हिंसा को भड़का रहे हैं."
दरअसल केंद्र सरकार इस पूरे मामले में दख़ल देने से बच रही है- बताती हुई कि ये राज्य सरकार का मामला है. और कानून व्यवस्था और कृषि दोनों ही राज्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. लेकिन ऐसे वक्त पर जब कई राज्यों और ज़िलों में किसानों की नाराज़गी हिंसक प्रदर्शनों में बदल रही है, तब केन्द्र सरकार के लिए इससे आंखें मूंदे रहना ख़तरनाक हो सकता है. हालात पर काबू पाने के लिए अगर जल्दी बड़े स्तर पर राजनीतिक पहल नहीं शुरू की गयी...तो हालात को संभालना मुश्किल हो सकता है.
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