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This Article is From Mar 09, 2012

जाट प्रदर्शनकारियों ने सड़क-रेल मार्ग दोबारा किया बाधित

हिसार: सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए आंदोलनरत जाट समुदाय के सदस्यों ने गिरफ्तार नेताओं को रिहा न किए जाने पर शुक्रवार को हिसार जिले के राजमार्गो एवं रेल पटरियों को दोबारा अवरुद्ध कर दिया।

जाट समुदाय के नेतृत्व ने अपने करीब 100 नेताओं को रिहा करने के लिए हरियाणा सरकार को शुक्रवार 12 बजे तक की मोहलत दी थी। आरक्षण की मांग को लेकर हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान एक युवक की मौत और कई लोगों के घायल होने के बाद पुलिस ने करीब 100 नेताओं को गिरफ्तार किया।

प्रदर्शनकारियों ने हिसार को दिल्ली, जींद, भिवानी और चण्डीगढ़ से जोड़ने वाले राजमार्गो को पेड़ और पत्थर से बाधित कर दिया है। प्रदर्शनकारियों ने हिसार-दिल्ली रेल मार्ग को भी अवरुद्ध किया है।

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रणजीव दलाल की अपील के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन में जान गंवाने वाले संदीप के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है।

ज्ञात हो कि संदीप का शव हिसार से 25 किलोमीटर दूर मय्यार गांव के समीप रेल की पटरी पर शीशे के ताबूत में रखा गया है।

दलाल ने कहा, "अंतिम संस्कार से रोकने वाले वास्तव में अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि जिले में अर्द्धसैनिक बलों की 24 सम्पनियों सहित करीब 2500 सुरक्षाकर्मियों को पहले ही तैनात किया जा चुका है। जिले में छह और कम्पनियां शीघ्र पहुंच जाएंगी। जिला प्रशासन ने सेना को भी तैयार रहने के लिए कहा है।

उल्लेखनीय है जाट समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहा है।

समुदाय ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि मुख्यमंत्री ने विलम्ब करने वाली नीति अपनाते हुए आंदोलन को समाप्त करने के लिए बाध्य किया।

पिछले सप्ताह से जिले में तनाव काफी बढ़ गया है। पुलिस गोलीबारी में युवक के मारे जाने के एक दिन बाद प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को दिल्ली जाने वाले राजमार्गो और रेल पटरियों को अवरुद्ध कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने कथित रूप से एक पुलिस स्टेशन में आग लगाई और हिसार कैंड के समीप बैंक की एक शाखा को लूटा।

इस बीच, हिसार के उपायुक्त अमित अग्रवाल ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीच के दरवाजे खुले हैं। जबकि जाट नेताओं का कहना है कि जब तक उनके नेताओं को रिहा नहीं किया जाता तब तक वे कोई बातचीत नहीं करेंगे।

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