बाराबंकी:
जिस मैगी में लेड की ज्यादा मात्रा होने की वजह से पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है, उसका पहला सैंपल लेने वाले शख्स बाराबंकी के फूड सेफ्टी ऑफिसर संजय सिंह हैं। उन्होंने बताया कि कुछ और कंपनियों के नूडल्स प्रोडक्ट की जांच हो रही है।
संजय सिंह ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि पहले लोकल मार्केट से नमूना लिया गया। यह पैरामीटर्स पर खरा नहीं उतरा और इस पर कोर्ट ने पेनल्टी लगाई। उस वक्त मामला यहीं पर खत्म हो गया... फिर इस मामले को क्रॉसचेक करने के लिए होली के आसपास इसकी फिर से चेकिंग की गई। उसी पैरामीटर से यह फिर फेल साबित हुआ।
जांच में क्यों लगा सालभर का समय...
मैगी के सैंपल में कई गुना लेड कंटेट है तो यह कितना ज्यादा हानिकारक रहा होगा, जांच में क्यों लगी देर, पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि स्टेट लैब की जांच में फेल होने के बाद इसे नेस्ले की स्टेट यूनिट में भेजा गया, जहां उनके रिप्रेजेंटिव ने कहा कि हमने जो प्रॉडक्ट बनाया है, वह पूरी तरह से सेफ्टी नॉर्म्स के मुताबिक है और हमारे हिसाब से इसमें कोई दिक्कत नहीं है। कोलकाता के संस्थान में टेस्ट करवाने की बात कही गई। वहां नमूना पहुंचा नहीं और वह गलती से शिमला चला गया। पूरे पेपरवर्क में 1 साल लग गया।
और प्रॉडक्ट्स पर भी फंदा...
उन्होंने बताया कि नया फूड सेफ्टी ऐक्ट वर्ल्ड स्टैंडर्ड को फॉलो करता है। वर्तमान कानून प्रभावी है। यह पूछे जाने पर कि सिर्फ मैगी ही क्यों, क्या और प्रॉडक्ट्स पर भी कार्रवाई की जाएगी? संजय सिंह ने कहा कि मैगी के बाद 5 और कंपनियों के फूड प्रॉडक्ट्स की जांच की जा रही है।
नोर के नूडल्स, ग्लैक्सोस्मिथकलाइन बीचन के फूडल्स, मिस्टर चिंग्स के इंस्टेंट नूडल्स और ऐसी ही कुछ और कंपनियों के सैंपल जांच के लिए गए हैं और जल्द ही उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। उन्होंने बताया कि इनकी जांच के लिए 30 मई को ही फॉर्म आदि भरे गए हैं और रिपोर्ट्स आने में 15-20 दिन लगेंगे।
यह पूछे जाने पर कि इतनी बड़ी कंपनी के बारे में यह बात सामने लाने पर कोई डर तो नहीं लग रहा, तो संजय सिंह ने कहा कि यह मेरा कर्तव्य है जो मैंने किया है... यह मेरी ड्यूटी है।
संजय सिंह ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि पहले लोकल मार्केट से नमूना लिया गया। यह पैरामीटर्स पर खरा नहीं उतरा और इस पर कोर्ट ने पेनल्टी लगाई। उस वक्त मामला यहीं पर खत्म हो गया... फिर इस मामले को क्रॉसचेक करने के लिए होली के आसपास इसकी फिर से चेकिंग की गई। उसी पैरामीटर से यह फिर फेल साबित हुआ।
जांच में क्यों लगा सालभर का समय...
मैगी के सैंपल में कई गुना लेड कंटेट है तो यह कितना ज्यादा हानिकारक रहा होगा, जांच में क्यों लगी देर, पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि स्टेट लैब की जांच में फेल होने के बाद इसे नेस्ले की स्टेट यूनिट में भेजा गया, जहां उनके रिप्रेजेंटिव ने कहा कि हमने जो प्रॉडक्ट बनाया है, वह पूरी तरह से सेफ्टी नॉर्म्स के मुताबिक है और हमारे हिसाब से इसमें कोई दिक्कत नहीं है। कोलकाता के संस्थान में टेस्ट करवाने की बात कही गई। वहां नमूना पहुंचा नहीं और वह गलती से शिमला चला गया। पूरे पेपरवर्क में 1 साल लग गया।
और प्रॉडक्ट्स पर भी फंदा...
उन्होंने बताया कि नया फूड सेफ्टी ऐक्ट वर्ल्ड स्टैंडर्ड को फॉलो करता है। वर्तमान कानून प्रभावी है। यह पूछे जाने पर कि सिर्फ मैगी ही क्यों, क्या और प्रॉडक्ट्स पर भी कार्रवाई की जाएगी? संजय सिंह ने कहा कि मैगी के बाद 5 और कंपनियों के फूड प्रॉडक्ट्स की जांच की जा रही है।
नोर के नूडल्स, ग्लैक्सोस्मिथकलाइन बीचन के फूडल्स, मिस्टर चिंग्स के इंस्टेंट नूडल्स और ऐसी ही कुछ और कंपनियों के सैंपल जांच के लिए गए हैं और जल्द ही उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। उन्होंने बताया कि इनकी जांच के लिए 30 मई को ही फॉर्म आदि भरे गए हैं और रिपोर्ट्स आने में 15-20 दिन लगेंगे।
यह पूछे जाने पर कि इतनी बड़ी कंपनी के बारे में यह बात सामने लाने पर कोई डर तो नहीं लग रहा, तो संजय सिंह ने कहा कि यह मेरा कर्तव्य है जो मैंने किया है... यह मेरी ड्यूटी है।
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