पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह. (फाइल फो)
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटों के साथ 2014 के आम चुनावों में अपने बूते पूर्ण बहुमत जीता था, लेकिन पिछले चार सालों में अब तक हुए उपचुनावों में पार्टी 9 सीट हार चुकी है. गुरुवार को पार्टी दो लोकसभा सीटें हारी, जबकि एक पर जीत हासिल की. इस तरह अब कुल मिलाकर पार्टी के पास लोकसभा में 273 की संख्या है.
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भाजपा ने लोकसभा सीटों के उप चुनाव में गुरुवार को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण कैराना सीट और महाराष्ट्र में भंडारा-गोंडिया सीट को खो दिया. पार्टी ने पालघर संसदीय सीट को बरकरार रखा, जबकि इसकी सहयोगी नगालैंड डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नागालैंड सीट जीतने में सफल रही. भाजपा ने इससे पहले इस साल उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों और राजस्थान में अजमेर और अलवर संसदीय सीटों को खो दिया.
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नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उपचुनाव में भाजपा चार सीटों पर हारी जो कांग्रेस की झोली में गईं. भाजपा की दो सीटें समाजवादी पार्टी के पास गईं और एक-एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के खाते में गईं. आरएलडी ने लोकसभा में अपना खाता विपक्षी पार्टियों द्वारा समर्थित अपनी उम्मीदवार तबस्सुम हसन की जीत से खोला, जिन्होंने कैराना में भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराया. भाजपा के सांसद हुकम सिंह (मृगांका सिंह के पिता) की मौत के कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा. भाजपा ने पालघर लोकसभा सीट को बरकरार रखा जहां इसके उम्मीदवार राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वंगा को हराया. वंगा दिवंगत सांसद चिंतमान वंगा के बेटे हैं. उनकी मौत जनवरी में हुई थी, इसके कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया.
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नगालैंड की एकमात्र संसदीय सीट पर उपचुनाव सांसद नेफ्यू रियो के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के कारण कराया गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद सीट से इस्तीफा दे दिया था. भंडारा-गोंडिया सीट जीतने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत अब लोकसभा में सात हो गई है. भंडारा-गोंडिया सीट पर उपचुनाव भाजपा के सांसद नाना पटोले के इस्तीफे के बाद कराया गया, जो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.
(इनपुट : IANS)
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भाजपा ने लोकसभा सीटों के उप चुनाव में गुरुवार को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण कैराना सीट और महाराष्ट्र में भंडारा-गोंडिया सीट को खो दिया. पार्टी ने पालघर संसदीय सीट को बरकरार रखा, जबकि इसकी सहयोगी नगालैंड डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नागालैंड सीट जीतने में सफल रही. भाजपा ने इससे पहले इस साल उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों और राजस्थान में अजमेर और अलवर संसदीय सीटों को खो दिया.
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नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उपचुनाव में भाजपा चार सीटों पर हारी जो कांग्रेस की झोली में गईं. भाजपा की दो सीटें समाजवादी पार्टी के पास गईं और एक-एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के खाते में गईं. आरएलडी ने लोकसभा में अपना खाता विपक्षी पार्टियों द्वारा समर्थित अपनी उम्मीदवार तबस्सुम हसन की जीत से खोला, जिन्होंने कैराना में भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराया. भाजपा के सांसद हुकम सिंह (मृगांका सिंह के पिता) की मौत के कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा. भाजपा ने पालघर लोकसभा सीट को बरकरार रखा जहां इसके उम्मीदवार राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वंगा को हराया. वंगा दिवंगत सांसद चिंतमान वंगा के बेटे हैं. उनकी मौत जनवरी में हुई थी, इसके कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया.
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नगालैंड की एकमात्र संसदीय सीट पर उपचुनाव सांसद नेफ्यू रियो के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के कारण कराया गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद सीट से इस्तीफा दे दिया था. भंडारा-गोंडिया सीट जीतने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत अब लोकसभा में सात हो गई है. भंडारा-गोंडिया सीट पर उपचुनाव भाजपा के सांसद नाना पटोले के इस्तीफे के बाद कराया गया, जो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.
(इनपुट : IANS)
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