सुशील शर्मा (फाइल फोटो)
20 सालों से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यूथ कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा, जिसे अपनी पत्नी नैना साहनी की निर्मम हत्या के लिए दोषी पाया गया था और उम्रकैद की सजा हुई थी, अब जेल से छूट सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सुशील शर्मा को बिना शर्त पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया है।
सुशील शर्मा ने अपनी जेल की सजा को कम करने और छोड़े जाने की अपील दायर की थी। अगर दिल्ली के उपराज्यपाल, सुशील शर्मा की अपील को स्वीकार कर लेते हैं तो करीब 20 साल से जेल में बंद इस शख्स को जेल से बाहर आने का मौका मिलेगा। बता दें कि यह मामला तंदूर हत्याकांड के रूप में काफी चर्चित हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने घटाई सजा
इस हत्या के लिए मौत की सजा पाए सुशील शर्मा की सजा को हाईकोर्ट ने भी सही माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में फांसी की सजा से राहत देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह हत्या संबंधों में कड़वाहट के चलते की गई और इससे समाज के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं होता।
पैरोल पर छूट सकता है सुशील
हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शर्मा तब तक पैरोल पर रहेंगे जब तक उपराज्यपाल उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं कर लेते। उपराज्यपाल के पास सुशील शर्मा ने सजा कम करने अथवा माफ करने की अपील की है।
क्या था मामला
बता दें कि नैना साहनी की 2 जुलाई 1995 को हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद उसके शव को कई टुकड़े किए गए और एक तंदूर में जला दिए गए। उसी दौरान पैट्रोल ड्यूटी पर लगे दिल्ली पुलिस के जवानों को तंदूर से धुआं उठता दिखा और बदबू से कुछ शक हुआ। तंदूर को देखा गया तो उसमें शव के टुकड़े थे। इसके बाद सुशील शर्मा मौके पर फरार हो गया और बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
ट्रायल कोर्ट ने 2003 में सुशील शर्मा को दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई। इस मामले में नैना की गोली मारकर हत्या करने और उसके शव को ठिकाने लगाने की साजिश में सुशील शर्मा दोषी साबित हुए थे। बताया गया कि सुशील को शक था कि पार्टी के एक अन्य वर्कर से उसकी बीवी नैना के संबंध हैं।
सुशील शर्मा ने अपनी जेल की सजा को कम करने और छोड़े जाने की अपील दायर की थी। अगर दिल्ली के उपराज्यपाल, सुशील शर्मा की अपील को स्वीकार कर लेते हैं तो करीब 20 साल से जेल में बंद इस शख्स को जेल से बाहर आने का मौका मिलेगा। बता दें कि यह मामला तंदूर हत्याकांड के रूप में काफी चर्चित हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने घटाई सजा
इस हत्या के लिए मौत की सजा पाए सुशील शर्मा की सजा को हाईकोर्ट ने भी सही माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में फांसी की सजा से राहत देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह हत्या संबंधों में कड़वाहट के चलते की गई और इससे समाज के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं होता।
पैरोल पर छूट सकता है सुशील
हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शर्मा तब तक पैरोल पर रहेंगे जब तक उपराज्यपाल उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं कर लेते। उपराज्यपाल के पास सुशील शर्मा ने सजा कम करने अथवा माफ करने की अपील की है।
क्या था मामला
बता दें कि नैना साहनी की 2 जुलाई 1995 को हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद उसके शव को कई टुकड़े किए गए और एक तंदूर में जला दिए गए। उसी दौरान पैट्रोल ड्यूटी पर लगे दिल्ली पुलिस के जवानों को तंदूर से धुआं उठता दिखा और बदबू से कुछ शक हुआ। तंदूर को देखा गया तो उसमें शव के टुकड़े थे। इसके बाद सुशील शर्मा मौके पर फरार हो गया और बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
ट्रायल कोर्ट ने 2003 में सुशील शर्मा को दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई। इस मामले में नैना की गोली मारकर हत्या करने और उसके शव को ठिकाने लगाने की साजिश में सुशील शर्मा दोषी साबित हुए थे। बताया गया कि सुशील को शक था कि पार्टी के एक अन्य वर्कर से उसकी बीवी नैना के संबंध हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सुशील शर्मा, तंदूर हत्याकांड, नैना साहनी, पैरोल, तिहाड़ जेल, Sushil Sharma, Tandoor Murder Case, Naina Sahni, Parol, Tihar Jail