मामले में ए.राजा को मुख्य आरोपी बनाया गया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यूपीए सरकार के दौरान हुए बहुचर्चित 2जी घोटाले पर सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ए. राजा और कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा, राज्यसभा सांसद कनिमोझी, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तब के निजी सचिव आरके चंदोलिया सहित करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया था. द्रमुक के नेता राजा पर आरोप था कि उन्होंने नियमों को दरकिनार करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की. घोटाले में जिन लोगों पर सीबीआई ने मुख्य आरोप लगाए थे उनमें ये लोग शामिल बताया गया था.
ए. राजा: पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता राजा पर आरोप था कि उन्होंने नियम-कायदों को नजरअंदाज करते हुए 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की इजाजत दी. सीबीआई के अनुसार, इन्होंने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया. राजा पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने अपनी पसंदीदा कंपनियों को पैसे लेकर ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया.
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कनिमोझी: द्रमुक सुप्रीमो एम. करुणानिधि की यह बेटी राज्यसभा सांसद है. कनिमोझी पर इस मामले में राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप था. आरोप है कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपयों की रिश्वत डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से ली और बदले में उनकी कंपनियों को राजा ने ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया.
सिद्धार्थ बेहुरा: जब राजा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे तब सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई का आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया और उनकी मदद की.
यह भी पढ़ें: राजा और कनिमोई समेत 19 पर आरोप तय, मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चलेगा मामला
आर के चंदोलिया: ए. राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने की साजिश की जो इसकी पात्रता नहीं रखती थीं.
शाहिद बलवा: स्वॉन टेलीकॉम के महाप्रबंधक बलवा, ए. राजा के कामों से लाभ उठाने वालों में प्रमुख हैं. सीबीआई का आरोप था कि बलवा की कंपनियों को जायज़ से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया.
संजय चंद्रा: सीबीआई के अनुसार, यूनिटेक के प्रमोटर की कंपनी भी इस घोटाले में सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक थे. स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया और मोटा मुनाफ़ा कमाया.
विनोद गोयनका: स्वॉन टेलीकॉम के निदेशक पर सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक साजिश में भाग लिया.
गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर: अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के यह तीन शीर्ष अधिकारी हैं. इन तीनों पर भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था. साथ ही सीबीआई का इन पर धोखाधड़ी को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया था.
राजीव अग्रवाल: कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पर आरोप था कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जो आख़िरकार करुणानिधि की बेटी कनिमोझी तक पहुंचे.
आसिफ़ बलवा: शाहिद बलवा के भाई कुशेगांव फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड में 50 फ़ीसदी के हिस्सेदार हैं. उन्हें भी इस मामले में साझीदार बताया गया था.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल के शेयर ट्रांसफर पर लगाई रोक
करीम मोरानी: सिनेयुग मीडिया और एंटरटेनमेंट के निदेशक पर आरोप था कि उन्होंने कुशेगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड से 212 करोड़ रुपए लिए और कनिमोड़ी को 214 रुपये रिश्वत के दिए ताकि शहीद बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाए.
ए. राजा: पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता राजा पर आरोप था कि उन्होंने नियम-कायदों को नजरअंदाज करते हुए 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की इजाजत दी. सीबीआई के अनुसार, इन्होंने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया. राजा पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने अपनी पसंदीदा कंपनियों को पैसे लेकर ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया.
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कनिमोझी: द्रमुक सुप्रीमो एम. करुणानिधि की यह बेटी राज्यसभा सांसद है. कनिमोझी पर इस मामले में राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप था. आरोप है कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपयों की रिश्वत डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से ली और बदले में उनकी कंपनियों को राजा ने ग़लत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया.
सिद्धार्थ बेहुरा: जब राजा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे तब सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई का आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया और उनकी मदद की.
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आर के चंदोलिया: ए. राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने की साजिश की जो इसकी पात्रता नहीं रखती थीं.
शाहिद बलवा: स्वॉन टेलीकॉम के महाप्रबंधक बलवा, ए. राजा के कामों से लाभ उठाने वालों में प्रमुख हैं. सीबीआई का आरोप था कि बलवा की कंपनियों को जायज़ से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया.
संजय चंद्रा: सीबीआई के अनुसार, यूनिटेक के प्रमोटर की कंपनी भी इस घोटाले में सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक थे. स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया और मोटा मुनाफ़ा कमाया.
विनोद गोयनका: स्वॉन टेलीकॉम के निदेशक पर सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक साजिश में भाग लिया.
गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर: अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के यह तीन शीर्ष अधिकारी हैं. इन तीनों पर भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था. साथ ही सीबीआई का इन पर धोखाधड़ी को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया था.
राजीव अग्रवाल: कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पर आरोप था कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जो आख़िरकार करुणानिधि की बेटी कनिमोझी तक पहुंचे.
आसिफ़ बलवा: शाहिद बलवा के भाई कुशेगांव फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड में 50 फ़ीसदी के हिस्सेदार हैं. उन्हें भी इस मामले में साझीदार बताया गया था.
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