विज्ञापन
This Article is From Apr 24, 2012

डीएम अगवा कांड : छत्तीसगढ़ सरकार ने बुच, मिश्रा को बनाया मध्यस्थ

रायपुर / नई दिल्ली / रांची: छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने अगवा किए गए सुकमा के डीएम एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई को लेकर नक्सलियों से बातचीत करने के लिए निर्मला बुच और एसके मिश्रा को मध्यस्थ तय किया है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वयं इनके नामों का ऐलान किया, तथा इन दोनों अधिकारियों ने कलेक्टर के परिजनों से उनकी बीमारी और दवाओं की पूरी जानकारी ले ली है। दरअसल, नक्सलियों ने अपनी तरफ से मध्यस्थता के लिए जो तीन नाम सुझाए थे, उनमें से दो - प्रशांत भूषण और मनीष कुंजम - ने मध्यस्थता से इनकार कर दिया है, जबकि बीडी शर्मा रिहाई पर दोनों पक्षों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

इससे पहले, सुकमा के अगवा जिलाधीश की तबीयत बिगड़ने की ख़बर आई थी, और सरकार ने माओवादियों द्वारा मध्यस्थ की भूमिका के लिए चुने गए आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजम के जरिये दवाएं भेजने की व्यवस्था की थी। कुंजम ने हालांकि मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया था, लेकिन वह बीमार जिलाधीश के लिए दवाएं लेकर जाने को तैयार हो गए थे। कुंजम ने बताया कि राज्य सरकार ने जिलाधीश एलेक्स पॉल मेनन के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उनसे दवाएं लेकर जाने को कहा, जिसके लिए उन्होंने रजामंदी जताई।

कुंजम ने कहा था कि वह मध्यस्थता से इनकार कर चुके हैं, लेकिन मेनन की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए मानवीय आधार पर दवाएं लेकर जाने को तैयार थे। उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही सुकमा जाकर जिलाधीश के आवास से उनकी दवाएं लेंगे, और फिर ताड़मेटला गांव तक जाएंगे, जहां माओवादियों ने मध्यस्थों से आने के लिए कहा है।

इससे पहले सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री रमन सिंह की बातचीत की पेशकश के बाद नक्सलियों ने मध्यस्थों के नाम सुझाए थे। नक्सलियों की ओर से मशहूर वकील प्रशांत भूषण, कोंटा से सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजम और बस्तर के पूर्व कलेक्टर बीडी शर्मा के नाम सुझाए गए थे।

इस बीच, सुकमा के डीएम के अपहरण के मामले में अब कई सवाल भी उठ रहे हैं। सुरक्षाबलों और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी की बात भी कही जा रही है। दरअसल यहां यह बात भी खुल रही है कि मेनन आमतौर पर एसओपी यानी सुरक्षा के कायदों की अनदेखी कर इन इलाकों में जाते थे। उस दिन भी वह ऐसे ही मांझीपाड़ा पहुंच गए थे। हालांकि सरकार का तर्क है कि अफसरों को इसी तरह लोगों तक पहुंचना होगा।

यह सच है कि पिछले कुछ दिनों में जिन कुछ नेताओं और अफसरों पर नक्सलियों ने हमला बोला है, वे बंदूक की जगह विकास की बात करते रहे हैं। विनील कृष्णा या रजत कुमार जैसे अफसर हों या झीना हिकाका जैसे नेता, इन सबने लोगों के साथ जुड़कर विकास की बात की है। कहीं न कहीं सुरक्षाबलों को एहसास है कि अफसरों के रवैये से उनकी मुश्किलें बढ़ती है, क्योंकि जिन खूंखार नक्सलियों को वे बड़ी मुश्किल से पकड़ते हैं, वे इस तरह आसानी से छूट जाते हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Alex Menon, Alex Paul Menon, Maoists Abduct Collector, Maoists Abduct Collector In Chhattisgarh, डीएम का अपहरण, छत्तीसगढ़ में कलेक्टर का अपहरण, एलेक्स पॉल मेनन
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com