रियल फ्रूट पर लिंग भेदभाव का आरोप लगाया गया
गुवाहाटी:
गुवाहाटी में एक 9 साल की बच्ची ने एक पैकेज्ड जूस पीने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उसे सिर्फ 'लड़कों' के लिए बनाया गया है. बच्ची का इशारा जूस के पैकेज पर बनी तस्वीर की तरफ था जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म पहने एक लड़के की तस्वीर थी.
इस बच्ची ने अपने पिता मृगांका के मजूमदार से बड़ी मासूमियत से यह सवाल किया कि 'क्या रियल फ्रूट जूस सिर्फ लड़के ही पी सकते हैं?' दरअसल बच्ची जूस के डिब्बे की पैकेंजिग की बात कर रही थी जिसमें एक लड़के को स्कूल यूनिफॉर्म में दिखाया गया है और लिखा गया है 'जो चीज़ आपके बच्चे के लिए अच्छी है, जरूरी है कि वह उसके चेहरे पर मुस्कुराहट भी लेकर आए.'
लड़की के पिता ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को चिट्ठी लिखकर इस पेय पदार्थ की पैकेंजिंग में किए गए भेदभाव की तरफ उनका ध्यान दिलाया. मजूमदार कहते हैं 'मैं सकपका गया और मैं बेटी को जवाब नहीं दे सका.' उन्होंने यह भी कहा कि डाबर कंपनी के रियल जूस ब्रांड को हमारी बेटियों को सम्मान देने की जरूरत है. उधर कंपनी ने लिंग भेदभाव के आरोपों को दरकिनार किया है. डाबर की ओर से आए एक बयान के मुताबिक 'हम यह आश्वासन देना चाहते हैं कि पैक पर लिखा 'him' शब्द किसी लिंग विशेष के लिए नहीं था और सामान्य तौर पर इसे किसी लिंग विशेष नहीं बल्कि बच्चों की बात करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.'
हालांकि कंपनी ने पैकेंजिंग बदलने का फैसला भी किया है ताकि आगे इस तरह की गलतफहमियां न हो पाएं. बयान में यह भी कहा गया है कि 'श्रीमान मजूमदार ने जो मुद्दा उठाया है, उसके संदर्भ में हम यह भी कहना चाहते हैं कि रियल फ्रूट पावर के पैक में एक खुशहाल परिवार की भी तस्वीर है जिसमें चार सदस्य है और इनमें से एक छोटी बच्ची भी है.'
वहीं कंपनी के दावे को झुठलाते हुए मजूमदार कहते हैं 'डाबर का यह कहना कि पैक पर एक बच्ची की तस्वीर भी है, सरासर गलत है और बहकाने वाली है. रियल जूस के 200 एमएल पैक पर सिर्फ एक लड़के की ही तस्वीर है. हालांकि जो बड़ा एक लीटर का पैक है उसमें बच्ची की तस्वीर भी है.' मजूमदार ने कहा कि वह खुश हैं कि कंपनी ने बदलाव करने का फैसला लिया है. वहीं मेनका गांधी ने भी कहा है कि उन्होंने इस मामले पर कंपनी से बात की है ताकि आगे के लिए एक उदाहरण पेश किया जा सके.
(इनपुट भाषा से भी)
इस बच्ची ने अपने पिता मृगांका के मजूमदार से बड़ी मासूमियत से यह सवाल किया कि 'क्या रियल फ्रूट जूस सिर्फ लड़के ही पी सकते हैं?' दरअसल बच्ची जूस के डिब्बे की पैकेंजिग की बात कर रही थी जिसमें एक लड़के को स्कूल यूनिफॉर्म में दिखाया गया है और लिखा गया है 'जो चीज़ आपके बच्चे के लिए अच्छी है, जरूरी है कि वह उसके चेहरे पर मुस्कुराहट भी लेकर आए.'
लड़की के पिता ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को चिट्ठी लिखकर इस पेय पदार्थ की पैकेंजिंग में किए गए भेदभाव की तरफ उनका ध्यान दिलाया. मजूमदार कहते हैं 'मैं सकपका गया और मैं बेटी को जवाब नहीं दे सका.' उन्होंने यह भी कहा कि डाबर कंपनी के रियल जूस ब्रांड को हमारी बेटियों को सम्मान देने की जरूरत है. उधर कंपनी ने लिंग भेदभाव के आरोपों को दरकिनार किया है. डाबर की ओर से आए एक बयान के मुताबिक 'हम यह आश्वासन देना चाहते हैं कि पैक पर लिखा 'him' शब्द किसी लिंग विशेष के लिए नहीं था और सामान्य तौर पर इसे किसी लिंग विशेष नहीं बल्कि बच्चों की बात करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.'
हालांकि कंपनी ने पैकेंजिंग बदलने का फैसला भी किया है ताकि आगे इस तरह की गलतफहमियां न हो पाएं. बयान में यह भी कहा गया है कि 'श्रीमान मजूमदार ने जो मुद्दा उठाया है, उसके संदर्भ में हम यह भी कहना चाहते हैं कि रियल फ्रूट पावर के पैक में एक खुशहाल परिवार की भी तस्वीर है जिसमें चार सदस्य है और इनमें से एक छोटी बच्ची भी है.'
वहीं कंपनी के दावे को झुठलाते हुए मजूमदार कहते हैं 'डाबर का यह कहना कि पैक पर एक बच्ची की तस्वीर भी है, सरासर गलत है और बहकाने वाली है. रियल जूस के 200 एमएल पैक पर सिर्फ एक लड़के की ही तस्वीर है. हालांकि जो बड़ा एक लीटर का पैक है उसमें बच्ची की तस्वीर भी है.' मजूमदार ने कहा कि वह खुश हैं कि कंपनी ने बदलाव करने का फैसला लिया है. वहीं मेनका गांधी ने भी कहा है कि उन्होंने इस मामले पर कंपनी से बात की है ताकि आगे के लिए एक उदाहरण पेश किया जा सके.
(इनपुट भाषा से भी)
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