इस्लामिक स्टेट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सरकारी सूत्रों के अनुसार 13 भारतीय आतंकवादी संगठन आईएस में शामिल होने के लिए विदेश गए थे, जिसमें से 6 की मौत हो चुकी है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि 7 लोग जो जिंदा हैं, उनमें से भी सिर्फ एक ही आतंकियों के साथ लड़ाई में शामिल है। बाकी के 6 लोग कुक, ड्राइवर और हेल्पर जैसे काम कर कर रहे हैं।
7 जिंदा लोगों में से 2 तो उन चार लोगों के ग्रुप में से हैं जो मई महीने में महाराष्ट्र के कल्याण से इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए गए थे। तीन युवा भारतीय ऑस्ट्रेलिया, ओमान और सिंगापुर से इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए गए हैं।
आईएस की तरफ से लड़ रहे और मारे गए छह भारतीयों में तीन इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी थे। इनमें सुल्तान अजमेर शाह और बड़ा साजिद शामिल हैं, जो पाकिस्तान में रहते हुए इस संगठन से जुड़े थे। इनके अलावा दो महाराष्ट्र और एक तेलंगाना से था।
पिछले सप्ताहंत पर सरकार ने आईएस के बढ़ते खतरे पर बात करने के लिए 10 राज्यों के वरिष्ठ नौकरशाहों और पुलिस प्रमुखों की एक बैठक बुलाई थी। इस सुन्नी आतंकी संगठन ने अब इराक और सीरिया के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
केंद्रीय गृह सचिव एल.सी. गोयल की अध्यक्षता में हुई 12 राज्यों के पुलिस प्रमुखों और गृह सचिवों की बैठक में युवाओं को आईएस जैसे संगठनों में शामिल होने से रोकने की रणनीति तैयार की गई। रणनीति के तहत तय किया गया कि युवकों को ऐसे संगठनों में शामिल होने से रोकने के लिए समुदाय के बुजुगों की मदद ली जाए। कट्टरपंथी सोशाल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी तथा सुरक्षा एजेंसियों के बीच जानकारी के परस्पर आदान प्रदान भी रणनीति में शामिल हैं।
आईएसआईएस से जुड़े मामलों से निपटने के लिए महाराष्ट्र और तेलंगाना ने पहले ही एक मॉडल तैयार किया है। सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया की निगरानी शुरू की जा चुकी है। मुस्लिम समुदाय का विश्वास हासिल करने के प्रयास भी चल रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान में आईएस का एक रिक्रूटमेंट डॉक्यूमेंट मिला था, जिसमें भारत पर हमले की बात कही गई थी। पिछले ही हफ्ते लिबिया में काम करने वाले 4 भारतीय शिक्षकों को आईएस ने किडनैप कर लिया था। उनमें से दो को बाद में छोड़ दिया गया। सरकार का कहना है कि वो अन्य को छुड़वाने के लिए भी प्रयासरत है।
7 जिंदा लोगों में से 2 तो उन चार लोगों के ग्रुप में से हैं जो मई महीने में महाराष्ट्र के कल्याण से इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए गए थे। तीन युवा भारतीय ऑस्ट्रेलिया, ओमान और सिंगापुर से इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए गए हैं।
आईएस की तरफ से लड़ रहे और मारे गए छह भारतीयों में तीन इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी थे। इनमें सुल्तान अजमेर शाह और बड़ा साजिद शामिल हैं, जो पाकिस्तान में रहते हुए इस संगठन से जुड़े थे। इनके अलावा दो महाराष्ट्र और एक तेलंगाना से था।
पिछले सप्ताहंत पर सरकार ने आईएस के बढ़ते खतरे पर बात करने के लिए 10 राज्यों के वरिष्ठ नौकरशाहों और पुलिस प्रमुखों की एक बैठक बुलाई थी। इस सुन्नी आतंकी संगठन ने अब इराक और सीरिया के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
केंद्रीय गृह सचिव एल.सी. गोयल की अध्यक्षता में हुई 12 राज्यों के पुलिस प्रमुखों और गृह सचिवों की बैठक में युवाओं को आईएस जैसे संगठनों में शामिल होने से रोकने की रणनीति तैयार की गई। रणनीति के तहत तय किया गया कि युवकों को ऐसे संगठनों में शामिल होने से रोकने के लिए समुदाय के बुजुगों की मदद ली जाए। कट्टरपंथी सोशाल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी तथा सुरक्षा एजेंसियों के बीच जानकारी के परस्पर आदान प्रदान भी रणनीति में शामिल हैं।
आईएसआईएस से जुड़े मामलों से निपटने के लिए महाराष्ट्र और तेलंगाना ने पहले ही एक मॉडल तैयार किया है। सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया की निगरानी शुरू की जा चुकी है। मुस्लिम समुदाय का विश्वास हासिल करने के प्रयास भी चल रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान में आईएस का एक रिक्रूटमेंट डॉक्यूमेंट मिला था, जिसमें भारत पर हमले की बात कही गई थी। पिछले ही हफ्ते लिबिया में काम करने वाले 4 भारतीय शिक्षकों को आईएस ने किडनैप कर लिया था। उनमें से दो को बाद में छोड़ दिया गया। सरकार का कहना है कि वो अन्य को छुड़वाने के लिए भी प्रयासरत है।
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