फाइल फोटो : पराग सावंत
मुंबई:
मुंबई के 7/11 ट्रेन सीरियल धमाकों के पीड़ित पराग सावंत की में मंगलवार सुबह 7 बजे हिंदुजा अस्पताल में मौत हो गई, जिसके बाद उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सायन अस्पताल ले जाया गया।
बुधवार दोपहर करीब एक बजे पराग का अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह करीब साढ़े पांच बजे जब नर्स के चेक करने पर पराग की हालत स्थिर पाई गई थी, लेकिन 6 बजते-बजते उनकी तबियत ख़राब हो गई।
दरअसल, 35 साल के पराग ब्लास्ट के बाद कोमा में चले गए थे। करीब दो साल बाद पराग ने अपनी आंखें खोली थी। वो मुस्कुराए भी थे और अपनी मां को पुकारा भी था, लेकिन उसके बाद उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
पराग का इलाज कर रहे डॉक्टर बी के मिश्रा ने बताया कि पराग के दिमाग पर कई सारी चोटें आई थी और उनका कई बार ऑपरेशन भी किया गया।
पराग का परिवार इन पूरे नौ सालों के दौरान उनके साथ था। पराग की मां पूरे नौ साल हर रोज अस्पताल आती रहीं। सुबह उनकी मौत के वक़्त भी वो उनके साथ ही थीं। हिंदुजा अस्पताल के बेड नंबर 27 का मरीज पराग सावंत अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के लिए भी सिर्फ एक मरीज न होकर उनके परिवार का एक सदस्य बन गया था।
पराग के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनका भाई, पत्नी और बेटी प्रनिति है। प्रनिति का जन्म 7/11 के उस हादसे के बाद हुआ था। 11 जुलाई 2006 की उस शाम को पराग अंधेरी अपने ऑफिस से अपने घर भायंदर जाने के लिए निकले थे। उन्होंने चर्चगेट विरार ट्रेन पकड़ी थी और उनके पिता का कहना है कि ब्लास्ट से पांच मिनट पहले पराग ने घर पर फ़ोन करके बताया था कि वो घर आ रहे हैं।
बुधवार दोपहर करीब एक बजे पराग का अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह करीब साढ़े पांच बजे जब नर्स के चेक करने पर पराग की हालत स्थिर पाई गई थी, लेकिन 6 बजते-बजते उनकी तबियत ख़राब हो गई।
दरअसल, 35 साल के पराग ब्लास्ट के बाद कोमा में चले गए थे। करीब दो साल बाद पराग ने अपनी आंखें खोली थी। वो मुस्कुराए भी थे और अपनी मां को पुकारा भी था, लेकिन उसके बाद उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
पराग का इलाज कर रहे डॉक्टर बी के मिश्रा ने बताया कि पराग के दिमाग पर कई सारी चोटें आई थी और उनका कई बार ऑपरेशन भी किया गया।
पराग का परिवार इन पूरे नौ सालों के दौरान उनके साथ था। पराग की मां पूरे नौ साल हर रोज अस्पताल आती रहीं। सुबह उनकी मौत के वक़्त भी वो उनके साथ ही थीं। हिंदुजा अस्पताल के बेड नंबर 27 का मरीज पराग सावंत अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के लिए भी सिर्फ एक मरीज न होकर उनके परिवार का एक सदस्य बन गया था।
पराग के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनका भाई, पत्नी और बेटी प्रनिति है। प्रनिति का जन्म 7/11 के उस हादसे के बाद हुआ था। 11 जुलाई 2006 की उस शाम को पराग अंधेरी अपने ऑफिस से अपने घर भायंदर जाने के लिए निकले थे। उन्होंने चर्चगेट विरार ट्रेन पकड़ी थी और उनके पिता का कहना है कि ब्लास्ट से पांच मिनट पहले पराग ने घर पर फ़ोन करके बताया था कि वो घर आ रहे हैं।
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