फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन वर्षो के दौरान ऋण, दिवालियापन एवं अन्य कारणों से करीब 36 हजार किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की है. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 2014, 2015 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े तथा वर्ष 2016 के अनंतिम आंकड़ों के हवाले से लोकसभा में यह जानकारी दी.
लोकसभा में एडवोकेट जोएस जार्ज के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ‘भारत में दुर्घटना मृत्यु तथा आत्महत्याएं’ नामक प्रकाशन में आत्महत्याओं से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 12360 किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 12602 था वर्ष 2016 के लिये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 11370 किसान एवं कृषि श्रमिकों के आत्महत्या की बात सामने आई है.
कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में दिवालियापन या ऋण के कारण 8007 किसानों और 4595 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की.
लोकसभा में एडवोकेट जोएस जार्ज के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ‘भारत में दुर्घटना मृत्यु तथा आत्महत्याएं’ नामक प्रकाशन में आत्महत्याओं से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 12360 किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 12602 था वर्ष 2016 के लिये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 11370 किसान एवं कृषि श्रमिकों के आत्महत्या की बात सामने आई है.
कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में दिवालियापन या ऋण के कारण 8007 किसानों और 4595 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की.
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