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This Article is From Dec 21, 2017

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला: CBI कोर्ट आज सुना सकती है फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है.

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला: CBI कोर्ट आज सुना सकती है फैसला, जानें क्या है पूरा मामला
2जी घोटाले के आरोपी ए राजा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: कांग्रेस नीत यूपीए-2 के कार्यकाल के सबसे बड़े घोटाले और दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके राज्यसभा सांसद कनिमोई समेत कई हाई-प्रोफाइल आरोपियों वाले 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत गुरुवार को फैसला सुना सकती है. दरअसल कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है. 

पहले सीबीआई केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर आरोपी हैं. इसके अलावा तीन कंपनियों स्वान टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडू) को भी आरोपी बनाया गया है.

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अक्टूबर 2011 में कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से लेकर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी, फर्जीवाडा, फर्जी कागजात बनाने, पद का दुरुपयोग, सरकारी दुराचरण आदि के आरोप तय किए थे. अप्रैल 2011 में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि '2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े 122 लाइसेंस गलत तरीके से आवंटित किए गए, जिससे सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा.' सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में सभी लाइसेंस रद्द कर दिए थे.

कोर्ट ने सीबीआई की ओर से 154 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें अनिल अंबानी, उनकी पत्नी टीना अंबानी और नीरा राडिया शामिल हैं. ये करीब 4400 पेज के हैं. इन मामलों में छह महीने से लेकर उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है. सीबीआई के दूसरे मामले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया व अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान व उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास श्राफ शामिल हैं. चार्जशीट में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियां भी आरोपी हैं. 

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तीसरे मामले में ईडी ने अप्रैल 2014 में ए राजा, कनिमोई, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, विनोद गोयनका, करीम मोरानी और शरद कुमार समेत 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें ईडी ने डीएमके चीफ करूणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी नामजद किया था. आरोप था कि स्वान टेलीकॉम से 200 करोड़ रुपये डीएमक के कलाईगनार टीवी को दिए गए. ईडी ने इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट ( PMLA) के प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया था.

इस घोटाले में जिन लोगों पर सीबीआई ने मुख्य आरोप लगाए हैं, उनमें निम्नलिखित लोग शामिल हैं.

ए राजा : पूर्व केंद्रीय दूर संचार मंत्री और द्रमुक नेता पर आरोप है कि इन्होंने नियम कायदों को दरकिनार कर 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी षडयंत्र पूर्वक की. सीबीआई के अनुसार, इन्होंने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया. इसके आलावा राजा पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपनी पसंदीदा कंपनियों को पैसे लेकर गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया.

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कनिमोई : द्रमुक सुप्रीमो एम करुणानिधि की यह बेटी राज्यसभा सदस्य हैं और इन पर राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप है. इन पर आरोप है कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपयों की रिश्वत डीबी रियलटी के मालिक शाहिद बलवा से ली बदले में उनकी कंपनियों को ए राजा ने गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया.

सिद्धार्थ बेहुरा : जब राजा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे, तब सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई का आरोप है कि इन्होंने ए राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया और उनकी मदद की. 

आर के चंदोलिया : ए राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप है कि इन्होंने ए राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने के लिए षडयंत्र किया जो इस लायक नहीं थीं. 

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शाहिद बलवा : स्वॉन टेलिकॉम के महाप्रबंधक बलवा ए राजा के कामों से लाभ उठाने वालों में प्रमुख हैं. सीबीआई का आरोप है कि बलवा की कंपनियों को जायज से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुए. 

संजय चंद्रा : यूनिटेक के प्रमोटर की कंपनी भी इस घोटाले में सीबीआई के अनुसार सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है. स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया और मोटा मुनाफ़ा कमाया. 

विनोद गोयनका : स्वॉन टेलिकॉम के निदेशक पर सीबीआई ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र में भाग लिया.

गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर : अनिल अंबानी समूह की कम्पनियों के यह तीन शीर्ष अधिकारी हैं. इन तीनों पर भी षडयंत्र में शामिल होने का आरोप है. साथ ही सीबीआई का इन पर धोखाधड़ी को बढ़ावा देने का भी आरोप है. 

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राजीव अग्रवाल : कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पर आरोप है कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जो आख़िरकार करुणानिधि की बेटी कनिमोई तक पहुंच गए. 

आसिफ़ बलवा : शाहिद बलवा के भाई कुशेगांव फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड में 50 फ़ीसदी के हिस्सेदार और इस जुर्म में भी साझीदार. 

करीम मोरानी : सिनेयुग मीडिया और एंटरटेनमेंट के निदेशक पर आरोप है कि उन्होंने कुशेगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड से 212 करोड़ रुपए लिए और कनिमोई को 214 रुपये रिश्वत के दिए ताकि शहीद बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाये.

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2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हुई घटनाएं इस प्रकार से हैं :

16 मई 2007 : ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया.

25 अक्तूबर 2007 : केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू जी स्पेक्ट्रम की निलामी की संभावनाओं को खारिज किया.

सितम्बर-अक्तूबर 2008 : दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए.

15 नवंबर 2008 : केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की.

21 अक्तूबर 2009 : सीबीआई ने टू जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया.

22 अक्तूबर 2009 : मामले के सिलसिले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की.

17 अक्तूबर 2010 : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया.

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नवंबर 2010 : दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की .

14 नवम्बर 2010 : राजा ने इस्तीफा दिया.

15 नवम्बर 2010 : मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.

नवम्बर 2010 : टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा.

13 दिसम्बर 2010 : दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया. इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया.

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24 और 25 दिसम्बर 2010 : राजा से सीबीआई ने पूछताछ की.

31 जनवरी 2011 : राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की. एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी.

दो फरवरी 2011 : 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया.

क्या है 2जी घोटाला-
2 जी घोटाला साल 2010 में प्रकाश में आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ था. आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर होते तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों और प्राप्त हो सकते थे.

VIDEO: 2जी : राजा, कनिमोई समेत 19 पर आरोप तय

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