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This Article is From Jan 16, 2019

Swine Flu: राजस्थान में 36 मौतें, कैसे पहचानें स्वाइन फ्लू के लक्षण...

अगर किसी व्यक्ति को खांसी, गले में दर्द, बुखार, सिरदर्द, मतली और उल्टी के लक्षण हैं. स्वाइन फ्लू की जांच करानी चाहिए.

Swine Flu: राजस्थान में 36 मौतें, कैसे पहचानें स्वाइन फ्लू के लक्षण...
Lucknow:

H1N1: राजस्थान में स्वाइन फ्लू से पिछले 15 दिनों में 36 लोगों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. मंगलवार को जैसलमेर में स्वाइन फ्लू के एक और मरीज की मौत हो गई और परीक्षण में लिए गए 51 नमूने पॉजिटिव पाए गए. जहां जयपुर में स्वाइन फ्लू के 17 मामले पॉजिटिव पाए गए, वहीं जोधपुर में 13 मामले पॉजिटिव पाए गए. इस वर्ष कुल 905 नमूने पॉजिटिव पाए गए. गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा-ए वायरस के एक स्ट्रेन के कारण होती है और सुअरों से इंसानों में संचरित होती है. समय पर इलाज नहीं होने पर एच1एन1 घातक भी हो सकता है. 

 

क्या हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण (Swine Flu or H1N1 Symptoms)
अगर किसी व्यक्ति को खांसी, गले में दर्द, बुखार, सिरदर्द, मतली और उल्टी के लक्षण हैं. स्वाइन फ्लू की जांच करानी चाहिए. इस स्थिति में दवाई केवल चिकित्सक की निगरानी में ही ली जानी चाहिए. स्वाइन फ्लू में खांसी या गले में खरास के साथ बुखार हो सकता है. निदान की पुष्टि आरआरटी या पीसीआर तकनीक से किए गए लैब टैस्ट से होती है. यहां हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण- 
- हल्का बुखार, 
- खांसी, 
- गले में खरास, 
- नाक बहने, 
- मांसपेशियों में दर्द, 
- सिरदर्द, 
- ठंड और कभी-कभी दस्त और उल्टी के साथ आता है. 
- हल्के मामलों में, सांस लेने में परेशानी नहीं होती है. 
- लगातार बढ़ने वाले स्वाइन फ्लू में छाती में दर्द के साथ उपरोक्त लक्षण, श्वसन दर में वृद्धि, रक्त में ऑक्सीजन की कमी, कम रक्तचाप, भ्रम, बदलती मानसिक स्थिति, गंभीर निर्जलीकरण और अंतर्निहित अस्थमा, गुर्दे की विफलता, मधुमेह, दिल की विफलता, एंजाइना या सीओपीडी हो सकता है.
 

 

गर्भवती महिलाओं में जटिलता
गर्भवती महिलाओं में, फ्लू भ्रूण की मौत सहित अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. हल्के-फुल्के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गंभीर लक्षण होने पर मरीज को भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है.

कैसे करें स्वाइन फ्लू से बचाव 
फ्लू के शिकार लोगों को आराम करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा से तरल पदार्थ पीना चाहिए. बिना डॉक्टर के सलाह के कोई दवा नहीं लेनी चाहिए. हाथों को कम से कम 45 सेकेंड तक साबुन से धोएं. खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढक कर रखें.

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