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ओवर टाइमिंग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर, स्‍ट्रोक और हार्ट अटैक का श‍िकार हो रहे लोग, जानें इससे कैसे नि‍पटें

Ideal Working Hours : हाल ही में आपने पुणे की सीए जो महज़ 26 साल की थी, की कथित तौर पर ओवर वर्क लोड के कारण असमय मौत की ख़बर सुनी होगी. जिसने हमारे वर्किंग कल्चर पर कई सवाल खड़े कर दिए.

ओवर टाइमिंग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर, स्‍ट्रोक और हार्ट अटैक का श‍िकार हो रहे लोग, जानें इससे कैसे नि‍पटें
ओवरटाइम करने के नुकसान और जोखिम.

Ideal Working Hours : मात्र 26 साल की उम्र में किसी का कथित तौर पर ओवर वर्क लोड की वजह से इस दुनिया को अलविदा कहना सामान्य नहीं है. जिस एज में लोग अपना करियर शुरू करते हैं उस में पुणे की एक CA ने काम की अधिकता के कारण दम तोड़ दिया है. WHO और इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन के अनुसार साल 2016 में लगभग 7,40,000 लोगों की मौत हो गई थी. इसकी वजह ज्यादा देर तक काम करने के कारण स्ट्रोक और कोरोनरी हार्ट डिजीज का होना बताया जा रहा है.

हालांकि, इस ग्राफ में साल 2000 में लगभग 29% गिरावट दर्ज की गई. ऑफिस में ज़्यादा देर तक काम करने के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है. इस वर्किंग कल्चर से कैसे अपने आपको सेफ रखें और इससे क्या नुकसान हो सकते हैं आइए जानते हैं.

क्या है आइडल वर्किंग आवर्स, कैसे बचें ओवर वर्कलोड से? (What is Ideal Working Hours and How to Prevent)

क्या है ओवर वर्कलोड?

अगर कोई व्यक्ति के ऑफिस में ओवरटाइम कर रहा है या फिर अपने ऑफ़िस का काम घर पर ला कर पूरा कर रहा है तो इसे ही ओवर वर्क लोड कहा जाता है. कभी-कभी की बात अलग है लेकिन आप लगातार ओवरटाइम कर रहे हैं तो इसका बुरा असर ना सिर्फ़ आपकी पर्सनल लाइफ़ पर दिखाई देता है बल्कि मेंटल और फिजिकल हेल्थ को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.

दुनिया में भारत दूसरे नम्बर पर

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार भारत ऐसा देश है जहां लोग मैक्सिमम समय ऑफिस में बिताते हैं, सीधे शब्दों में समझा जाए तो ज्यादा काम करने के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर आता है. ILO के अनुसार जहां हफ़्ते भर में प्रत्येक कर्मचारी 46.7 घंटे काम करते हैं वहीं 51 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो एक हफ़्ते में 49 घंटे या उससे भी ज्यादा देर तक काम करते हैं.

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किस देश में कितनी देर होता है काम?

1. भूटान : दुनिया में सबसे अधिक काम करने वाले देश में पहले नंबर पर आता है भूटान जहां एक हफ़्ते में 54.4 घंटे काम करने वाले लोगों की संख्या 61 प्रतिशत है.

2. भारत : इस लिस्ट में दूसरा नंबर आता है भारत का जहां 51 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 46.7 घंटे काम करते हैं.

3. बांग्लादेश : बांग्लादेश में एक हफ़्ते में 47 प्रतिशत लोग लगभग 46.9 घंटे काम करते हैं.

4. मॉरिटानिया : मॉरिटानिया में 46 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 47.6 घंटे काम करते हैं.

5. कांगो : कांगो में 45 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 48.6 घंटे काम करते हैं.

6. बुर्किना फासो : बुर्किना फासो में 41 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 46.3 घंटे काम करते हैं.

7. पाकिस्तान : इस लिस्ट में पाकिस्तान सातवे स्थान प है जहां 40 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 46.9 घंटे काम करते हैं.

8. यूएई : यूएई में 39 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 50.9 घंटे काम करते हैं.

9. लेबनान : लेबनान में 38 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 47.6 घंटे काम करते हैं.

10. म्यांमार : म्यांमार में 38 प्रतिशत लोग एक हफ़्ते में लगभग 44.7 घंटे काम करते हैं.

इन आंकड़ों के अनुसार भारत में लोगों के काम करने वाले घंटे वाकई चौंका देने वाले हैं. दुनिया में कई देश ऐसे भी हैं जहां लोगों के काम करने के घंटे काफी कम हैं. इस बात से आपको हैरानी होगी कि दुनिया के विकासशील देशों में काम करने का औसतन समय एक हफ्ते में 40 घंटे से भी कम हैं.

जो WHO की तरफ से बताए गए मानक पर बिल्कुल फिट बैठता है. अमेरिका, जापान, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्वीडन जैसे कई विकसित देश हैं जहां एक हफ्ते में काम करने का समय 40 घंटे से कम है.

कितने घंटे करें काम?

एक सप्ताह में टोटल 168 घंटे होते हैं. WHO के अनुसार इन 168 घंटों का 1 चौथाई समय ही एक सप्ताह में व्यक्ति को काम करने के लिए निकालना चाहिए. जो औसतन 35-40 घंटे होता है. इस एक हफ्ते में इंसान लगभग 56 घंटे सोने में देता है. बाकी के 16-17 घंटे घर के अन्य कामों में चला जाता है. इसके अलावा बचा हुआ समय रीक्रिएशन के लिए होना चाहिए. इस लाइफ स्टाइल को फॉलो करने से आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बना रहता है.

लंबे समय तक काम करने नकारात्मक प्रभाव

अगर आप तय मानक वर्किंग आवर से अधिक समय तक काम करते हैं तो आपको थकान के कारण अनिद्रा की समस्या हो सकती है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, हार्ट डिजीज और किडनी फेलियर का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या भी हो सकती है. मेंटल हेल्थ पर बुरा असर हो सकता है.

इस टॉक्सिक वर्क कल्चर से कैसे बचें?

सबसे पहले तो आपको टाइम मैनेजमेंट पर खासा ध्यान देना होगा. अगर आपने एक बार टाइम मैनेज कर लिया तो आपके ऊपर वर्कलोड नहीं बढ़ेगा. कोशिश करें अपने सारे काम समय पर पूरे कर लें. इन्हें कल के लिए ना छोड़ें. अपने लक्ष्य को निर्धारित करते हुए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करें. काम का अधिक लोड ना लें और महत्वपूर्ण कामों को प्राथमिकता दें. सबसे जरूरी और खास बात ये कि अपने काम के लिए हमेशा एक डेडलाइन जरूर तय करें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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