
बिहार में नवजात मृत्य दर में तीन प्रतिशत की कमी आयी है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है. बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के मुताबिक सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य की नवजात मृत्य में तीन अंकों की कमी आई है. वर्ष 2017 में 28 से घट कर वर्ष 2018 में नवजात मृत्यदर 25 हो गई है. इसमें प्रारंभिक नवजात शिशु मृत्यु दर (ईएनएमआर) यानी जन्म के शुरूआती दिनों में मौत की दर में एक अंक की और जन्म के कुछ समय उपरांत मौत की दर में दो अंकों की गिरावट शामिल है.
नवजात मृत्युदर (एनएमआर) की कमी का सीधा प्रभाव शिशु मृत्य दर (आईएमआर) पर पडता है. अत: 2017 में आईएमआर 35 था जो तीन अंकों की कमी आने पर घट कर 32 हो गया.
अब बिहार की नवजात मृत्य दर देश की नवजात मृत्य दर (23) के काफी करीब पहुंच गई है.
बिहार के ग्रामीण क्षेत्र की नवजात मृत्य दर (26) अब ग्रामीण भारत की नवजात मृत्य दर (27) से एक अंक कम है. बिहार का एनएमआर पिछले सात वर्षों से लगभग स्थिर था. वर्ष 2018 में उसमें तीन अंकों की कमी दर्ज की गयी. शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में लिंग अंतर भी पिछले वर्षों की तुलना में कम हो गया है. वर्ष 2016 में लिंग अंतर 15 था जो कि 2018 में यह घटकर 5 रह गया.
इस रिपोर्ट में यह भी पता चल रहा है कि शिशु मृत्यु दर में एक अंक की कमी आई है. इसलिए समेकित रूप से 2018 में मृत्यु दर में चार अंकों की कमी आई और 2017 में यह दर 41 थी जो घट कर 37 हो गई है. यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्रसव पूर्व शिशु मृत्यु दर जो 2017 में 24 थी वह 2018 में दो अंकों की कमी के साथ घट कर 22 हो गई है. इससे यह आकलन किया जा सकता है कि मृत्य दर में आई कमी से 2017 के संदर्भ में 2018 के दौरान अनुमानित 9739 नवजात और पांच वर्ष से कम उम्र के 12985 बच्चों की मृत्यु को रोका जा सका. (भाषा)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं