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Understanding ECG: एक नहीं कई तरह के होते हैं दिल की धड़कन बताने वाले ईसीजी, जानें इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) कैसे पढ़ें

How to read ECG report: इस वीडियो में अलग-अलग तरह के ईसीजी को रीड करने का तरीका बताया है. अलग अलग ईसीजी टेस्ट जैसे रेस्टिंग ईसीजी, स्ट्रेस ईसीजी और हॉलस्टर मॉनिटरिंग के बारे में बताया गया है. साथ ही ये भी बताया गया है कि इस तरह के सारे ईसीजी को कैसे रीड किया जाए.

Understanding ECG: एक नहीं कई तरह के होते हैं दिल की धड़कन बताने वाले ईसीजी, जानें इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) कैसे पढ़ें
How to Read an ECG: ईसीजी पर लाइनों का क्या मतलब होता है?

How To Read ECG: दिल से जुड़ी कभी कोई तकलीफ हो जाए तो डॉक्टर्स सबसे पहले ईसीजी कराने की सलाह देते हैं. ईसीजी को इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम कहते हैं. ईसीजी करने के लिए डॉक्टर छाती पर अलग अलग जगह कुछ डिवाइज लगाता है. जिसके बाद हार्ट की रीडिंग ली जाती है. जो एक पेपर पर उतरती गिरती रेखाओं के रूप में दिखाई देती हैं. अक्सर आम लोग इन रेखाओं को समझने की कोशिश करते हैं. लेकिन दिल की भाषा को इन लकीरों के जरिए समझ पाना आसान नहीं होता. Dima Course नाम के इंस्टाग्राम हैंडल ने एक वीडियो शेयर कर ये समझाने की कोशिश की है कि ईसीजी को कैसे रीड किया जाता है.

ईसीजी पढ़ने का सही तरीका | How to Read an ECG 

इस वीडियो में अलग-अलग तरह के ईसीजी को रीड करने का तरीका बताया है. अलग अलग ईसीजी टेस्ट जैसे रेस्टिंग ईसीजी, स्ट्रेस ईसीजी और हॉलस्टर मॉनिटरिंग के बारे में बताया गया है. साथ ही ये भी बताया गया है कि इस तरह के सारे ईसीजी को कैसे रीड किया जाए.


इस वीडियो में ईसीजी से जुड़े कंपोनेंट्स जैसे पी वेव्स, QRS कॉम्प्लेक्सेस और टी वेव्स के बारे में भी बताया गया है. वीडियो को इस हिसाब से बनाया गया है कि इसे कार्डियोलॉजी की शुरुआती पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट भी समझ सकें और अपना कंफ्यूजन दूर कर सकें. साथ ही आम लोग भी इस वीडियो को देखकर ईसीजी को पढ़ने का तरीका समझ सकें.

एट्रियल फ्लटर | Atrial Flutter

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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) कैसे पढ़ें.

-    इस तरह के ईसीजी में हार्ट बीट की रिदम रेगुलर दिखाई देती है.

-    इस ईसीजी में कोई पी वेव्ज नजर नहीं आती हैं.

आट्रियल फिबरिलेशन (Atrial Fibrillation) या A – Fib

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How to Read an ECG: ईसीजी रिपोर्ट को पढ़ने का तरीका. 

-    इस तरह के ईसीजी में हार्ट बीट की रिदम बहुत इरेगुलर दिखती है.

-    पी वेव्ज भी नजर नहीं आती हैं.

आट्रियल फ्लटर और आट्रियल फिबरिलेशन में अंतर

ये दोनों ही तरह के ईसीजी अक्सर एक ही जैसे लगते हैं. जिसे देखकर हार्ट की स्टडी कर रहे नए स्टूडेंट्स या आम लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि दोनों तरह के ईसीजी में अंतर को अच्छे से समझ लिया जाए. दोनों ही तरह के ईसीजी में छोटी छोटी ऊंची नीची लाइन्स दिखती हैं. जिन्हें हार्ट की रिदम कहा जा सकता है. जो पूरे ईसीजी में एक ही जैसी ऊपर नीचे होती नजर आती हैं. बीच बीच में ये लाइन्स थोड़ा ज्यादा ऊपर की तरफ जाती हैं. आप गौर से देखेंगे तो पता चलेगा कि ए फिब और ए फ्लटर दोनों में ही लाइन्स थोड़ी अलग तरह की हैं.

पहले ए फिब को समझते हैं. ईसीजी में जो ज्यादा ऊपर तक रेखाएं गई हैं उन्हें आर आर इंटरवल्स कहा जाता है. आप देखेंगे कि ए फिब में ये आर आर इंटरवल्स काफी इररेगुलर हैं. कभी इन के बीच का गैप कम होता है. तो कभी ये काफी गैप के बाद नजर आती हैं. जिसे देख कर ये कहा जा सकता है कि ये काफी इररेगुलर हैं. जबकि ए फ्लटर ईसीजी में आप देखेंगे कि ये आर आर इंटरवल्स काफी हद तक रेगुलर दिख रहे हैं.

दोनों के बीच का एक खास डिफरेंस ये भी है कि ए फ्लटर में दिखने वाली हार्ट की रिदम काफी कुछ एक ही जैसी है. और, उनका उतार चढ़ाव काफी आसानी से दिखाई भी दे रहा है. जबकि ए फिब में ये उतार चढ़ाव उतने क्लियर नहीं दिख रहे हैं. जिसे देखकर ये भी कहना आसान है कि ए फिब में छोटे उतार चढ़ाव भी ए फ्लटर की तरह रेगुलर नहीं दिख रहे हैं.

वेंट्रिक्यूलर टायकार्डियक (Ventricular Tachcardiac Or VT Or VTAC)

-    इस तरह के ईसीजी में हार्ट की रिदम बिलकुल अलग तरह से नजर आएंगी. इस तरह की रिदम में अलग अलग आकार की रिदम दिखेंगी. जो बहुत ही ज्यादा इररेगुलर और कोरस होंगी.

-    इस तरह का ईसीजी है तो समझिए कि ये गंभीर स्थिति है. जिसमें कोई कॉन्ट्रेक्शन या कार्डियक आउटपुट नहीं दिखाई दे रहा है.

-    इस तरह के ईसीजी में वेव्स किसी टॉम्ब स्टोन की तरह दिखाई देती हैं.

एसिस्टली (Asystole) या फ्लेट लाइन

-    इस तरह के ईसीजी में कोई उतार चढ़ाव नजर नहीं आते हैं. बल्कि ग्राफ पर एक सीधी रेखा दिखाई देती है. इसी वजह से इसे फ्लेट लाइन ईसीजी भी कहते हैं.

-    इस ईसीटी में A का मतलब है विदआउट और Systole का मतलब है हार्ट मसल कॉन्ट्रेक्शन. जिसका सीधा सा इशारा है कि हार्ट में की मसल में किसी तरह का कोई कॉन्ट्रेक्शन नहीं दिख रहा है. इसलिए ग्राफ कोई रिदम या कान्ट्रेक्शन दर्ज भी नहीं हो सका है.

प्री वेंट्रिकुलर कॉन्ट्रक्शन्स (Preventricular Contractions Or PVCs)

-    इस तरह के ईसीजी की शुरुआत में बहुत अच्छे QRS कॉम्प्लेक्स नजर आते हैं.

-    इसके बाद आखिर में एक कंस्ट्रक्शन ग्राफ में नीचे की तरफ दिखता है. जिसे QRS कॉम्प्लेक्स का प्रीमैच्योर कंटक्शन कहा जाता है.

-    पीवीसी अगर कंसिस्टेंट है तो ये जानलेवा भी हो सकते हैं.

ये प्री वेंट्रीकुलर कंस्ट्रक्शन अलग अलग तरह के हो सकते हैं.

-    बाय जैमिनी (Bigeminy)- इसका मतलब है कि प्री वेंट्रीकुलर कंस्ट्रक्शन हर दो रिदम के बाद आ रहे हैं.

-    ट्राय जैमिनी (Trigeminy)- इसका मतलब है कि प्री वेंट्रीकुलर कंस्ट्रक्शन, हार्ट की हर तीन रिदम के बाद दिखाई दे रहे हैं.

-    क्वाड जैमिनी (Quadgeminy)- इसका अर्थ है कि प्री वेंट्रीकुलर कंस्ट्रक्शन, हार्ट की हर चार रिदम के बाद दिखाई दे रहे हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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