बच्चों को चुप कराने के 6 सबसे आसान और असरदार तरीके
नई दिल्ली:
बच्चे की देखभाल के दौरान कई बार ऐसे मोड़ आते हैं कि परिजन यह समझ ही नहीं पाते कि आखिर किस तरह अपने बच्चे को सहज किया जाए. और बच्चे जब इतने छोटे हों कि वह बोल कर आपको अपनी बात न बता सकते हों, तो परेशानी और बढ़ जाती है. छोटे बच्चे बहुत रोते हैं. दिन हो या रात, उनके रोने का कोई वक्त नहीं होता. अब ऐसे में सबसे बड़ा टास्क है उन्हें चुप कराना और उससे भी ज़्यादा मुश्किल है ये समझना कि आखिर बच्चा रो क्यों रहा है? उन्हें शांत कराने के लिए पेरेंट्स तमाम तरीके अपनाते हैं. लेकिन ज़्यादा परेशानियां उन कपल्स को होती है जो पहली बार पेरेंट्स बनने वाले हों. अगर आप भी उन्हीं में से हों तो नीचे दिए टिप्स को फालो करें.
1. कई बार बच्चों को मां-बाप स्पर्श की जरूरत होती है. इसीलिए ज़्यादा देर मां की गोद से दूर रहने पर वह रोते हैं. इसीलिए उन्हें गोद में लेकर चुप कराएं.
2. ठीक बड़ों की तरह बच्चों को भी आपसे बात करनी होती है. अगर वो रोए तो उनसे मुस्कुराहट के साथ बात करते हुए चुप कराएं. उनके सामने हाथों से इशारे करें, उन्हें अहसास दिलाएं कि वो आपके लिए कितने जरूरी हैं.
3. छोटे बच्चे एक जगह लेटे रहते हैं या फिर एक ही जगह बैठे रहते हैं. ऐसे में उन्हें बाहर ले जाएं. उनकी आंखों को नए रंगों और लोगों से मिलवाएं.
5. ज़्यादातर बच्चे तभी रोते हैं जब वो भूखे होते हैं. इसीलिए सबसे पहले उन्हें फीड कराएं. अगर तब भी ना चुप हो तो बाकि तरीके अपनाएं.
6. छोटे बच्चे बोल नहीं सकते. ऐसे में उन्हें कोई अंदरूनी चोट लग जाए तो वो सिर्फ रोकर अपने दर्द को बयां कर सकते हैं. ऊपर दिए सभी तरीकों के बावजूद अगर बच्चा ज़्यादा रोए तो डॉक्टर से कंसल्ट करें.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
1. कई बार बच्चों को मां-बाप स्पर्श की जरूरत होती है. इसीलिए ज़्यादा देर मां की गोद से दूर रहने पर वह रोते हैं. इसीलिए उन्हें गोद में लेकर चुप कराएं.
2. ठीक बड़ों की तरह बच्चों को भी आपसे बात करनी होती है. अगर वो रोए तो उनसे मुस्कुराहट के साथ बात करते हुए चुप कराएं. उनके सामने हाथों से इशारे करें, उन्हें अहसास दिलाएं कि वो आपके लिए कितने जरूरी हैं.
3. छोटे बच्चे एक जगह लेटे रहते हैं या फिर एक ही जगह बैठे रहते हैं. ऐसे में उन्हें बाहर ले जाएं. उनकी आंखों को नए रंगों और लोगों से मिलवाएं.
5. ज़्यादातर बच्चे तभी रोते हैं जब वो भूखे होते हैं. इसीलिए सबसे पहले उन्हें फीड कराएं. अगर तब भी ना चुप हो तो बाकि तरीके अपनाएं.
6. छोटे बच्चे बोल नहीं सकते. ऐसे में उन्हें कोई अंदरूनी चोट लग जाए तो वो सिर्फ रोकर अपने दर्द को बयां कर सकते हैं. ऊपर दिए सभी तरीकों के बावजूद अगर बच्चा ज़्यादा रोए तो डॉक्टर से कंसल्ट करें.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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