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GBS FAQs: महाराष्ट्र में लगातार बढ़ रहे GBS के मामले, जानिए क्या है इस खतरनाक बीमारी की वजह और इसका इलाज

NDTV ने एक्सपर्ट से बात की और इस जीबीएस से जुड़ी अहम बातों पर चर्चा की गई, ताकि जल्दी से जल्दी इस बीमारी की पहचान कर इसका इलाज शुरू किया जा सके.

GBS FAQs: महाराष्ट्र में लगातार बढ़ रहे GBS के मामले, जानिए क्या है इस खतरनाक बीमारी की वजह और इसका इलाज
क्या है  GBS, इस खतरनाक बीमारी की वजह और इसका इलाज.

GBS- Guillain-Barré Syndrome Explainer in Hindi: महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम (GBS- Guillain-Barré syndrome) के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. कुछ मरीजों की इस बीमारी ने जान भी ले ली है. इसके ज्यादातर मामले पुणे (Pune) और इसके आस-पास के इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. असम में भी इसके कुछ मामले सामने आएं हैं. इससे होने वाली मौतों की वजह से लोगों में इसे लेकर डर का माहौल हैं. NDTV ने फरीदाबाद AIMS के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विजय शर्मा (Dr Vijay Sharma) से बात की और इस बीमारी से जुड़ी अहम बातों पर चर्चा की गई, ताकि जल्दी से जल्दी इस बीमारी की पहचान कर इसका इलाज शुरू किया जा सके.

GBS क्या है इसका मरीज के शरीर पर क्या असर पड़ता है? (What is GBS and How it Effect the Patient's Body?)

गुलियन -बैरी सिंड्रोम जिसे शॉर्ट में GBS कहते हैं एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके मामले आमतौर पर हर एक लाख लोगों में से एक या दो में देखने को मिलते हैं. इस बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम ही हमारी पेरिफेरल नर्व्स (peripheral nerves), पर हमला कर देता है.

दरअसल हमारा शरीर किसी इंफेक्शन से लड़ने के लिए जो एंटीबॉडीज बनाता है वो नसों के ऊपर की कवरिंग जिसे मायलिन शीथ कहते हैं उस पर हमला करने लगते हैं. जिसकी वजह से मांसपेशिया कमजोर हो जाती हैं और हमारे हाथ-पैर ठीक से काम करना बंद कर देते हैं. इस बीमारी को GBS कहते हैं जो एक बहुत रेयर बीमारी है.

यह भी पढ़ें :  Guillain-Barre Syndrome (GBS): क्या है गुइलेन बैरे सिंड्रोम, इसके कारण, लक्षण और बचाव | NDTV Explainer

इस रेयर बीमारी के आउट ब्रेक होने की वजह क्या है? (What is the Reason for the Outbreak of this Rare Disease?)

GBS बीमारी संक्रामक नहीं है लेकिन यह बीमारी जिस कारण से हो रही है वो अगर बढ़ जाए तो GBS के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगेगी. इसलिए यह आउटब्रेक ज्यादातर वॉटर बर्न इंफेक्शन, या गंदे हाथ का इस्तेमाल करने से या गंदे खाने से होता है. 

अगर इन वजह से आपको कोई इंफेक्शन होता है तो आपकी बॉडी उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती है. एंटीबॉडी उस इंफेक्शन का तो काम तमाम कर देती है, लेकिन फिर ये एंटीबॉडी हमारे शरीर में जो नर्व्स हैं उनको फॉरेन बॉडी समझ के उनपर भी अटैक करने लगती है. इस बीमारी को GBS कहते हैं.

आमतौर पर इस बीमारी में ब्रेन इंवॉल्वमेंट नहीं होता है. यह शुरू होता है पैरों की कमजोरी से और धीरे-धीरे फिर यह ऊपर की ओर बढ़ता है, जिससे हमें हाथों में भी कमजोरी महसूस होने लगती है फिर हमारे सांस लेने के रेस्पिरेटरी मसल्स को भी यह अफेक्ट करने लगता है, जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, शरीर के दूसरे अंगों पर भी इसका असर पड़ सकता है.

GBS के लक्षण (Symptoms of GBS)

मान लीजिए आपको कैम्पिलोबैक्टर इन्फेक्शन (Campylobacter infection ) या पेट इंटेस्टाइनल इंफेक्शन हुआ और आप उससे ठीक भी होने लगते हैं लेकिन उसके बाद जब एंटीबॉडी आपकी नर्व्स पर हमला करने लगती है, इसकी वजह से सबसे पहले जो GBS के लक्षण नजर आते हैं वो हैं पैरों में कमजोरी, दर्द, खड़े होने में दिक्कत महसूस होना, चलने में दिक्कत होना.

क्या इसके लक्षण नजर आने में दो हफ्ते का समय लग सकता है? (Can it take two weeks for symptoms to appear?)

डॉ. ने बताया कि इन्फेक्शन होने के हफ्ते दो हफ्ते बाद ही नर्वस सिस्टम के कमजोर होने पर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं, क्योंकि सर्दी, खांसी, पेट खराब जैसी बीमारियां तो आमतौर पर होती रहती हैं और ठीक भी हो जाती है. लेकिन जब मरीज को कमजोरी या दर्द होने लगे पैर में और यह कमजोरी हर दिन बढ़ रही हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ये कमजोरी नीचे से ऊपर की ओर बढ़ती है. आम तौर पर इसकी शुरुआत पैरों से होती है फिर जांघों में उसके बाद कमर में फिर हाथों में महसूस होने लगती है. धीरे-धीरे सांस लेने में भी मरीज को तकलीफ महसूस होने लगती है क्योंकि इसका असर रेस्पिरेटरी मसल्स पर भी पड़ने लगता है. इस वजह से मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है.

GBS को डायग्नोज कैसे किया जाता है? (How is GBS diagnosis?)

जब मरीज हमसे पैरों में दर्द या झुनझुनी की शिकायत करता है, तो हम देखते हैं कि उसके मसल्स का पावर कैसा है. अगर मसल्स में जितना जोर होना चाहिए वो उतना नहीं है तो हम ये पता करने के लिए कि इस बीमारी में क्या नर्व इवॉल्वड हैं, कुछ टेस्ट करते है जिससे पता चल सके की GBS है या नहीं.

हम मरीज के ब्रेन का MRI स्कैन करते है वो नॉर्मल आता है, क्योंकि GBS ब्रेन को अफेक्ट नहीं करता है यह हमारे पेरिफेरल नर्व्स जो हाथ पैर में जा रहे हैं उस पर हमला करता है. इसके बाद फिर स्पाइन का स्कैन किया जाता है. अगर GBS है को नर्व में हमें सूजन या इन्फ्लेमेशन के फीचर्स दिखने लगते हैं जिससे पता चल जाता है.

एक और इंपॉर्टेंट इन्वेस्टिगेशन है वो है नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve Conduction Study). इसमें हम देखते हैं कि मस्तिष्क से जो इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी आ रही है वो कितनी तेजी से हाथों और पैर के निचले हिस्सों में पहुंचती है. अगर उसकी स्पीड कम हो जाती और उसकी वोल्टेज भी कम होता है तो GBS हो सकता है. इसके अलावा हम रीड की हड्डी में जो पानी होता है उसको निकाल भी जांच करते हैं कि GBS है कि नहीं.

GBS का इलाज क्या है? (Treatment for GBS?)

जैसा कि आपको बताया कि एंटीबॉडीज पेरिफेरल नर्व्स के ऊपर जो कवरिंग होती है उसे अटैक करने लगते हैं, तो वहां अगर हम इन एंटीबॉडीज को टिकने नहीं दे तो यह इसका एक इलाज है. इसके लिए हम लोग इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबुलिन (Intravenous immunoglobulin) देते हैं, ये नर्व के ऊपर जो कवरिंग के रिसेप्टर्स है उससे ये बना बनाया एंटीबॉडी अटैच हो जाता है, जिससे जो GBS वाली एंटीबॉडी है वो वहां अटैच नहीं हो पाते हैं. इस तरह बीमारी को बढ़ने से रोक लिया जाता है.

लेकिन जरूरी है कि ये इलाज जल्दी शुरू किया जाए ताकि ज्यादा फायदा हो सके और इससे हम लोग इस बीमारी की गंभीरता को भी कम कर सकते हैं. यह एक सबसे इंपॉर्टेंट शुरुआती इलाज है इसके अलावा और भी कई इलाज है.

एक इलाज है प्लाज्मा फेरेसिस (Plasmapheresis) इसमें हम मरीज के खून को निकाल के स्पेशल फिल्टर से गुजारने के बाद फिर पंप बैक कर देते हैं. इस तरह GBS वाले एंटीबॉडीज को हटा लिया जाता है.

इसके अलावा इलाज के लिए हम कभी-कभी स्टेरॉयड (Steroids) का भी इस्तेमाल करते हैं. स्टेरॉइड इंफ्लेमेशन को कम करता है जिससे GBS वाले एंटीबॉडी की संख्या कम होने लगती है. GBS के यह तीन मुख्य इलाज हैं जिससे हम बीमारी की गंभीरता को कम कर सकते हैं.

GBS से रिकवरी में कितना टाइम लगता है? (How Long Does it Take to Recover From GBS?)

इस बीमारी से ठीक होने में हफ्तों से महीने लग सकते हैं.ये डिपेंड करता है कि पेशेंट की बॉडी कितनी जल्दी रिकवर हो रही है या जो माइलिन की परत डैमेज हो चुकी है वह कितने जल्दी ठीक हो रही है.

क्या GBS के लिए कोई वैक्सीनेशन है? (Is There a Vaccination for GBS?)

GBS की कोई वैक्सीनेशन नहीं है लेकिन हमारा शरीर इंफेक्शन से लड़ने के लिए जो एंटीबॉडीज बनाता है जो बाद में माइलिन शीथ को डैमेज करने लगती है उन एंटीबॉडीज की संख्या या क्वांटिटी कम करने के लिए हम लोग इम्यूनोग्लोबुलिन (Immunoglobulins) का इस्तेमाल करते हैं जो काफी महंगा होता है. लेकिन यह GBS की वैक्सीन नहीं है.

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से बचने के उपाय? (Ways to Prevent Guillain-Barré Syndrome (GBS)?

  • घर का बना खाना खाएं बाहर खाने से बचें
  • उबाल कर या फिल्टर करके पानी पिएं
  • हाथों को अच्छी तरह धोने के बाद ही खाना खाएं
  • अगर आपको शरीर में कमजोरी, दर्द या झनझनाहट महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
  • साफ -सफाई का ख्याल रख के पेट खराब या गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल इंफेक्शन और कॉमन फ्लू वायरस जैसे रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से बचने की कोशिश करें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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