मुंबई में चूहों के जरिये फैलने वाले रोग Leptospirosis यानी लेप्टोस्पायरोसिस से चार लोगों की मौत हो जाने के बाद कीट नियंत्रण विभाग ने चूहों के 17 बिलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया है ताकि रोग को फैलने से बचाया जा सके. लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु रोग है, जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित करता है. यह लेप्टोस्पिरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है. यह संक्रमित जानवरों के मूत्र के जरिये फैलता है, जो पानी या मिट्टी में रहते हुए कई सप्ताह से लेकर महीनों तक (Monsoon Sessions) जीवित रह सकते हैं.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अत्यधिक rain यानी बारिश और उसके परिणामस्वरूप बाढ़ से चूहों की संख्या में वृद्धि के चलते जीवाणुओं का फैलाव आसान हो जाता है. संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं. जीवाणु त्वचा या (आंखों, नाक या मुंह की झल्ली) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, खासकर यदि त्वचा में कट लगा हो तो."
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क्या है वजह
- दूषित पानी पीने से भी संक्रमण हो सकता है.
उपचार के बिना, लेप्टोस्पायरोसिस गुर्दे की क्षति, मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सूजन), लीवर की विफलता, सांस लेने में परेशानी और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है.
कैसे पहचानें
लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में-
- तेज बुखार
- सिरदर्द होना
- ठंड लगना
- मांसपेशियों में दर्द महसूस होना
- मितली या उल्टी होना
- आंखों का लाल होना
- पेट में लगातार या रुक-रुक कर दर्द होना या दस्त लगना
- या पीलिया भी इसका लक्षण हो सकता है.
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ध्यान रहे-
किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है. डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव दिए जैसे कि गंदे पानी में घूमने से बचें. चोट लगी हो तो उसे ठीक से ढंके. बंद जूते और मोजे पहन कर चलें. मधुमेह से पीड़ित लोगों के मामले में यह सावधानी खास तौर पर महत्वपूर्ण है. अपने पैरों को अच्छी तरह से साफ करें और उन्हें मुलायम सूती तौलिए से सुखाएं. गीले पैरों में फंगल संक्रमण हो सकता है. पालतू जानवरों को जल्दी से जल्दी टीका लगवाएं, क्योंकि वे संक्रमण के संभावित वाहक हो सकते हैं.
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क्या करें-
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "बीमारी का रोगी के इतिहास और शारीरिक जांच के आधार पर निदान किया जाता है. गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को उचित चिकित्सा परीक्षण कराने को कहा जाता है. शुरुआती चरण में लेप्टोस्पायरोसिस का निदान करना मुश्किल होता है, क्योंकि लक्षण फ्लू और अन्य आम संक्रमणों जैसे ही प्रतीत होते हैं. लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज चिकित्सक द्वारा निर्धारित विशिष्ट एंटीबायोटिक्स के साथ किया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "जो लोग लेप्टोस्पायरोसिस के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आते-जाते हैं, उन्हें तालाब में तैरने से बचना चाहिए. केवल सीलबंद पानी पीना चाहिए. खुले घावों को साफ करके ढंक कर रखना चाहिए." (इनपुट आईएएनएस)
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