गुजरात के नतीजे आने के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने दिया यह बयान

येचुरी ने कहा कि भाजपा भले ही जीत गई हो, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों और 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों की तुलना में उनकी सीटें और वोट प्रतिशत दोनों कम हुए हैं.

गुजरात के नतीजे आने के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने दिया यह बयान

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी.(फाइल फोटो)

खास बातें

  • गुजरात चुनाव का परिणाम लोगों के 'गुस्से और विरोध' को दर्शाती है
  • उन्होंने कहा कि विपक्ष 'गुस्से और विरोध' का पूरा फायदा नहीं उठा पाया
  • येचुरी ने कहा कि चुनावी नतीजों से विपक्ष को सीखने की जरूरत है
आसनसोल (पश्चिम बंगाल):

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की सीटों की संख्या में आई कमी उसकी नीतियों के खिलाफ लोगों के 'गुस्से और विरोध' को दर्शाती है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि विपक्ष इस 'गुस्से और विरोध' का पूरा फायदा नहीं उठा पाया.

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येचुरी ने कहा, 'वे (भाजपा) भले ही जीत गए हों, लेकिन 2014 (लोकसभा चुनावों) और 2012 (गुजरात विधानसभा चुनावों) की तुलना में उनकी सीटें और वोट प्रतिशत दोनों कम हुए हैं. वे 150 सीटों के अपने लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाए हैं. चुनावी नतीजे भाजपा की नीतियों के खिलाफ लोगों के गुस्से को दर्शाते हैं.' उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगों ने 'विकास के गुजरात मॉडल' के लिए वोट नहीं किया था, बल्कि इसके खिलाफ किया था. क्योंकि जीएसटी और नोटबंदी के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था.

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वामपंथी नेता ने कहा कि भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान 'सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कार्ड' खेला ताकि जीएसटी एवं  नोटबंदी के खिलाफ लोगों के गुस्से को पार्टी के खिलाफ वोटों में तब्दील होने से रोका जा सके. उन्होंने कहा, 'भाजपा ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की गंदी राजनीति की.  पूरा प्रचार ऐसे किया गया जैसे लड़ाई हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो. सिर्फ चुनावी फायदे के लिए ऐसा किया गया'. येचुरी ने कहा कि चुनावी नतीजों से कई ऐसे सबक मिले हैं जिनसे विपक्ष को सीखने की जरूरत है. 


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