
फीफा विश्वकप: रूस ने फीफा वर्ल्डकप के आयोजन के लिए बड़ी संख्या में स्टेडियमों के निर्माण पर बड़ी धनराशि खर्च की थी. फुटबॉल के इस महाकुंभ के खत्म होने के बाद इस टूर्नामेंट के लिए तैयार किये गये स्टेडियमों का भविष्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. वर्ल्डकप के लिए स्टेडियमों के निर्माण और उन्नयन के लिए रूस ने लगभग चार बिलियन डॉलर खर्च किए हैं, जिसमें पहले से विकसित शहरों के स्टेडियमों के अलावा देश के दूरदराज हिस्से के स्टेडियम की निर्माण भी भी शामिल है. ऐसे स्टेडियमों में वोल्गा नदी के किनारे बनाए गए निजनी नोवगोरोद स्टेडियम और छोटे तथा एकांत जगह सरांस्क में बने स्टेडियम शामिल हैं.
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The Luzhniki joins an elite group of stadiums to host the #WorldCupFinal today...
— FIFA World Cup (@FIFAWorldCup) July 15, 2018
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पता है कि वर्ल्डकप की सफलता का अंदाजा स्टेडियमों के भविष्य पर भी निर्भर करेगा और वह इसका बेहतर इस्तेमाल करना चाहते हैं. पिछले दो दशक से रूस की सत्ता पर काबिज पुतिन इस मसले पर गंभीर और भावुक नजर आए. उन्होंने कहा , ‘मैं क्षेत्र (स्टेडियम) के अपने सहयोगियों को संबोधित करना चाहता हूं’उन्होंने कहा , ‘किसी भी कीमत पर आप इन स्टेडियमों को बाजार में नहीं बदल सकते जैसा कि 1990 के मध्य में हुआ था. ’हालांकि फाइनल की मेजबानी करने वाले लुजनिकी स्टेडियम के लिए ज्यादा खतरा नहीं है लेकिन सरांसक और समारा जैसे स्टेडियम ऐसी टीमों के घरेलू मैदान होंगे जो कुछ हजार दर्शर्कों को ही आकर्षित कर सकते है.
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वर्ल्डकप की मेजबानी करने वाले 11 शहरों के 12 स्टेडियमों के भविष्य पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि यहां प्रीमियर लीग ( शीर्ष घरेलू टूर्नामेंट) में सिर्फ छह टीमें ही खेलती है जिसके प्रशंसक टिकट के लिए पैसे खर्च कर सकते हैं. प्रीमियर लीग में भी 12 से 13 हजार दर्शक ही आते है जबकि वर्ल्डकप के लिए तैयार स्टेडियमों की क्षमता कम से कम 44 हजार दर्शकों की है. समारा के खेल मंत्री दिमित्रि शल्याखटीन ने कहा , ‘जब हम स्टेडियमों का निर्माण कर रहे थे तब हम इसे वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए कई विकल्प शामिल करने की योजना बना रहे थे लेकिन अभी यह नहीं पता कि यह काम कैसे किया जाएगा. (इनपुट: एजेंसी)
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