
नई दिल्ली:
रोज़ बढ़ती गर्मी और चलती लू ने सभी को अपनी चपेट में ले रखा है। ऐसे में किसी को डायरिया की शिकायत है, तो कोई शरीर में मौजूद पानी की कमी को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रोल ले रहा है। गर्मियों में अकसर हमारे शरीर में पसीने के कारण कई प्रकार के टॉक्सिन पैदा हो जाते हैं, जो नींबू पानी, छाछ या ढेर सारा पानी पीने से ही बाहर निकलते हैं। कई लोगों को तो डॉक्टर से सलाह लेकर शरीर में पानी की कमी पूरी करनी पड़ती है।
यह है दस्त का एकमात्र इलाज
गर्मियों में अगर आपको दस्त लगते हैं, तो दिन में एक ग्लास ओआरएस लेना ज़रूरी होता है। गर्मियों में लगने वाले दस्त अकसर पानी जैसे पतले और बिना दर्द के होते हैं। उनके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं होती। इसका केवल इलाज दिन में भारी मात्रा में पानी पीते रहना है। यह जानकारी हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने दी।
डॉक्टर का कहना है कि दिन में एक बार दस्त आना मतलब शरीर से एक ग्लास पानी की कमी होना होता है। अगर मरीज़ को 10 बार दस्त हों, तो उसे सामान्य तरल आहार के साथ-साथ 12 गिलास ओआरएस लेना चाहिए और उसके बाद आने वाले हर दस्त के लिए उसे एक गिलास ओरआरएस लेना चाहिए।
वहीं, अगर मरीज़ को 12 बार दस्त आते हैं, तो उसका इलाज हॉस्पिटल के ओपीडी में ही किया जा सकता है। लेकिन अगर दस्त 12 से अधिक बार आएं, तो उसे डॉक्टर की देखरेख में रखना चाहिए। इसके अलावा अगर यही संख्या 40 तक बढ़ जाए, तो मरीज़ को इंटेसिव ट्रीटमेंट की ज़रूरत होती है।
डायरिया में क्या काम करती हैं हमारी इंटेस्टाइन
दस्त आने पर अकसर हमारे गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं। शरीर में पानी की कमी होने से हमारे अंदर काफी वीकनेस भी आ जाती है। इससे प्रमुख समस्या पैदा होती है। यह तब होता है जब रक्तचाप कई घंटों तक कम रहता है। दस्त के वक़्त ज़रूरी है कि मरीज हर छह से आठ घंटे में एक बार पेशाब ज़रूर करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह गुर्दों में रुकावट का संकेत हो सकता है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
यह है दस्त का एकमात्र इलाज
गर्मियों में अगर आपको दस्त लगते हैं, तो दिन में एक ग्लास ओआरएस लेना ज़रूरी होता है। गर्मियों में लगने वाले दस्त अकसर पानी जैसे पतले और बिना दर्द के होते हैं। उनके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं होती। इसका केवल इलाज दिन में भारी मात्रा में पानी पीते रहना है। यह जानकारी हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने दी।
डॉक्टर का कहना है कि दिन में एक बार दस्त आना मतलब शरीर से एक ग्लास पानी की कमी होना होता है। अगर मरीज़ को 10 बार दस्त हों, तो उसे सामान्य तरल आहार के साथ-साथ 12 गिलास ओआरएस लेना चाहिए और उसके बाद आने वाले हर दस्त के लिए उसे एक गिलास ओरआरएस लेना चाहिए।
वहीं, अगर मरीज़ को 12 बार दस्त आते हैं, तो उसका इलाज हॉस्पिटल के ओपीडी में ही किया जा सकता है। लेकिन अगर दस्त 12 से अधिक बार आएं, तो उसे डॉक्टर की देखरेख में रखना चाहिए। इसके अलावा अगर यही संख्या 40 तक बढ़ जाए, तो मरीज़ को इंटेसिव ट्रीटमेंट की ज़रूरत होती है।
डायरिया में क्या काम करती हैं हमारी इंटेस्टाइन
दस्त आने पर अकसर हमारे गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं। शरीर में पानी की कमी होने से हमारे अंदर काफी वीकनेस भी आ जाती है। इससे प्रमुख समस्या पैदा होती है। यह तब होता है जब रक्तचाप कई घंटों तक कम रहता है। दस्त के वक़्त ज़रूरी है कि मरीज हर छह से आठ घंटे में एक बार पेशाब ज़रूर करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह गुर्दों में रुकावट का संकेत हो सकता है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)