
भारत में इन दिनों त्योहार का मौसम है ईद और रक्षाबंधन के बाद जल्द ही जन्माष्टमी का पर्व आने वाला है. जन्माष्टमी के बाद लोग गणेश चतुर्थी की तैयारियों में लग जाएंगे. इस साल यह भव्य उत्सव 2 सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक चलता है. लोग अपने घरों में भगवान गणेश की सुंदर सजी हुई मूर्तियां स्थापित करते हैं. महाराष्ट्र के सिद्धि विनायक जैसे प्राचीन मंदिर में हर साल गणेश जी की कलात्मक मूर्तियों को लाते हैं और देश भर के लोग हर साल इस पौराणिक मंदिर में इकट्ठा होते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान गणेश अपने प्रिय भक्तों की कामना की पूर्ति के लिए स्वर्ग से धरती पर आते हैं. वहीं इस दौरान बहुत से भक्त हर दिन अपने देवता को भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रसाद तैयार करते हैं.
गणेश चतुर्थी तिथि और पूजा का समय
गणेश चतुर्थी सोमवार, 2 सितंबर, 2019 को शुरू होगी
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - सुबह 11:05 से दोपहर 01:36 तक
गणेश विसर्जन गुरुवार, 12 सितंबर, 2019 को होगा
चतुर्थी तिथि शुरू - 2 सितम्बर, 2019 सुबह 4 बजकर 57 मिनट
चतुर्थी तिथि समाप्त -3 सितंबर, 2019 रात 1 बजकर 54 मिनट
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी देश भर में बड़े स्तर पर मनाया जाने वाला त्योहार है. भगवान गणेश की घर वापसी हिंदू महीने के 'भद्रा' में मनाई जाती है. भगवान गणेश हिंदू धर्म के परम पूज्यनीय देवताओं में से एक हैं. ऐसा माना जाता है कि हर बड़ी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करनी चाहिए. भगवान गणेश को 'विघ्नहर्ता' के नाम से भी जाना जाता है. भगवान गणेश भगवान शिव के दूसरे पुत्र हैं, जब वह छोटे थे तो एक बार उन्हें माता पार्वती ने द्वार की रक्षा करने के लिए कहा था. जब भगवान शिव पहुंचे और प्रवेश करने पर जोर दिया, तो भगवान गणेश ने विरोध किया. गरमागरम चर्चा के बाद, भगवान शिव ने छोटे गणेश का सिर काट दिया. वहीं जब देवी पार्वती ने अपने बेटे को बिना सिर देखा तो वह टूट गई. शिव ने देवों को आदेश दिया कि जिस किसी का भी सिर उत्तर दिशा की ओर हो और जो भी पहले मिले, उसका सिर ले आए. तब उन लोगों को एक हाथी का सिर मिला और उन्होंने भगवान शिव को जानवर का सिर लाकर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने गणेश के शरीर पर हाथी का सिर लगाया और उन्हें वापस नया जीवन दिया.
19 वीं शताब्दी में गणेश चतुर्थी एक बड़ा मामला बन गया, जब भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने जनता को त्योहार मनाने के लिए भारी संख्या में सड़कों पर इकट्ठा होने के लिए कहा. ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीयों पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे. एक विशाल सार्वजनिक सभा की व्यवस्था करना उनमें से एक था. गणेश चतुर्थी के माध्यम से, तिलक को अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कठोर कानूनों के खिलाफ विद्रोह करने का एक सरल साधन मिला.
गणेश चतुर्थी पर बनने वाला भोजन
इस त्योहार पर मोदक काफी लोकप्रिय है. कहा जाता है कि यह मिठाई भगवान गणेश की पसंदीदा है. इस स्टीम मिठाई को खोए और नट्स की स्टफिंग भरकर बनाया जाता है. हालांकि, आजकल मोदक की स्टफिंग के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किए जाने लगे हैं. चॉकलेट, नट्स से लेकर नारियल तक के विकल्प हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मोदक में, लड्डू, वन्डरल्लू पानकम (गुड़-, काली मिर्च- और इलायची के स्वाद वाला पेय), वड़ाप्प्पु (भिगोया हुआ मूंग दाल) और चलीविदी(एक पका हुआ चावल का आटा और गुड़ का मिश्रण) भगवान गणेण को नैवेद्य के भाग के रूप में दिया जाता है.
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