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This Article is From Mar 16, 2016

13 फीसदी स्कूली बच्चों की दूर की नज़र कमजोरः एम्स

13 फीसदी स्कूली बच्चों की दूर की नज़र कमजोरः एम्स
नई दिल्ली: भारत के लगभग 13 फीसदी स्कूली बच्चों की दूर की नजर कमजोर होती है। एम्स (अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान) में हुए अध्ययन से पता चला है कि पिछले एक दशक में यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। इसका कारण इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल को बताया जा रहा है। आजकल के बच्चे इन गैजेट्स का काफी प्रयोग करने लगे हैं।

एम्स के राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑपथालमिक साइंसेज के मुताबिक एक दशक पहले यह आंकड़ा महज सात फीसदी था। इसके अलावा ये समस्या चीन, सिंगापुर और थाईलैंड के बच्चे में भी पाई गई है। आरपी सेंटर के प्रमुख अतुल कुमार ने बताया कि “भारत में आंखों संबंधी रोगों के बारे में काफी कम अध्ययन किया गया है और मायोपिया भी उनमें से एक है”।

एम्स के ऑपथालमिक विभाग के प्रोफेसर जीवन सिंह तितियाल ने बताया कि “अभी तक कोर्निया की 950 सर्जरी की जा चुकी हैं”। इन सभी चीजों को नजरअंदाज करते हुए इस पर ध्यान देना काफी आवश्यक है। अगर आप भी अपने बच्चे की नज़र कमजोर होने से बचाना चाहते हैं, तो उन्हें गैजेट्स का इस्तेमाल कम कराएं।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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