उड़ता पंजाब : बॉम्बे हाईकोर्ट गए अनुराग कश्यप, बोर्ड सदस्य बोले- ट्रेलर पर आपत्ति नहीं तो अब क्यों?

उड़ता पंजाब : बॉम्बे हाईकोर्ट गए अनुराग कश्यप, बोर्ड सदस्य बोले- ट्रेलर पर आपत्ति नहीं तो अब क्यों?

एनडीटीवी से बात करते अनुराग कश्यप

नई दिल्ली:

'उड़ता पंजाब' के निर्माता अनुराग कश्यप और सेंसर बोर्ड के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म के कई सीन और नाम पर बोर्ड की कैंची चलने के बाद फिल्म निर्माताओं में से एक अनुराग कश्यप अब बॉम्बे हाईकोर्ट चले गए हैं। कोर्ट के माध्यम से बोर्ड के उस आदेश की कॉपी की मांग की गई है जिसमें फिल्म में 89 कट के लिए कहा  गया है। साथ ही फिल्म में पंजाब के संदर्भ, राजनीति और चुनाव के जिक्र को हटाने की बात कही गई है।

अनुराग कश्यप का कहना है कि अभी तक उन्हें आदेश की कॉपी नहीं दी गई है। जबकि निहलानी एनडीटीवी से कह चुके हैं, अनुराग बोर्ड से इसकी कॉपी ले सकते हैं।  (पढ़े ये भी : पहलाज निहलानी ने अनुराग को दिया करारा जवाब, फिल्म में कट को ठहराया जायज)

पहलाज के विरोध में बोले बोर्ड सदस्य अशोक पंडित
वहीं, सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी के विचारों से इतर कहा है कि फिल्म के ट्रेलर पर जब कोई आपत्ति नहीं थी तो अब क्यों आपत्ति हो रही है। इसका तो एक ही मतलब है कि या तो पहले काम नहीं किया गया या फिर अभी काम किया जा रहा है। पंडित का कहना है कि फिल्म का ट्रेलर इसी नाम, इसी एक्टर के साथ रिलीज हुआ था। तब कोई आपत्ति नहीं थी तो अब क्यों है। उस समय ट्रेलर को बिना किसी कट के रिलीज करने दिया गया था।

जेटली और राठौड़ से भी अनुराग ने लगाई गुहार
अनुराग का कहना है कि क्यों केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और राज्यवर्धन राठौड़ इस मामले पर कोई कदम नहीं उठा रहे। वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि सेंसर बोर्ड के कामों से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।

अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी से कहा कि अरुण जेटली ने पिछले 10 दिनों से उनका फोन नहीं अटैंड कर रहे। मैं उनका प्रशंसक रहा हूं, लेकिन अब मेरी आशा टूटने लगी है। पीएम मोदी को मैंने काफी हताश हो जाने के बाद ट्वीट किया। वहीं इस मामले पर राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि अगर वे बोर्ड के निर्णय से खुश नहीं हैं तो वे इसके खिलाफ आगे ट्राईब्यूनल में अपील कर सकते हैं।

जरूरी है पंजाब शब्द का प्रयोग
बता दें कि अनुराग कश्यप की फिल्म उड़ता पंजाब रिलीज को तैयार है और सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर कई जगह कैंची चलाई है। साथ ही फिल्म से पंजाब का जिक्र हटाने को कहा गया है। वहीं, कश्यप का कहना है कि यह निहायती जरूरी शब्द है। इस शब्द के बिना फिल्म बेमानी होगी।


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