राज अनदकट निभाते हैं टप्पू का किरदार
नई दिल्ली:
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में जो भी होता है, वह धमाल भरा होता है. अब गणपति का मौका है, तो गोकुलधाम सोसायटी में इस मौके पर कुछ धमाल न हो ही नहीं सकता. गणपति बप्पा को गोकुलधाम सोसाइटी में लाने के लिए टप्पू ने शिवाजी का रूप धरा तो उनकी सेना बन गई मराठा योद्धा. गोकुलधाम के सभी लोग पूरे जश्न, नाच-गाने के साथ गणपति बप्पा को अपनी सोसाइटी में लाए हैं. यह प्रकरण 4 सितंबर से शुरू होगा और पांच-छह दिन तक चलेगा.
गोकुल धाम सोसायटी में आए गणपति बप्पा के बारे में खास बात यह है कि वे पुणे के दागडुशेठ हलवाई गणपति मंदिर में स्थित गणपति जैसे हैं. शो के क्रिएटर और प्रोड्यूसर असित कुमार मोदी ने कहा है, "ये हमारी ओर से महाराष्ट्र में मनाए जा रहे इस त्योहार के 125 साल पूरे होने पर एक सलाम है. ब्रिटिश राज के समय बाल गंगाधर तिलक ने 125 साल पहले इस प्रथा का श्रीगणेश किया था ताकि हम अंग्रेजों के नियमों की उपेक्षा करके इसके माध्यम से आजादी की लड़ाई के संदेश को सभी भारतीयों तक पहुंचा सकें. इसीलिए टप्पू शिवाजी महाराज बन के और टप्पू सेना मराठा योद्धा बनकर गणपतिजी को नाचते-गाते गोकुलधाम में लाए हैं."
गोकुलधाम में किसी भी त्योहार को मनाने का तरीका अनोखा ही रहता है. तभी तो जुलाई 2008 में शुरू हुआ सीरियल अपने हंसी के ठहाकों की वजह से अभी तक हर किसी को पसंद आता है.
गोकुल धाम सोसायटी में आए गणपति बप्पा के बारे में खास बात यह है कि वे पुणे के दागडुशेठ हलवाई गणपति मंदिर में स्थित गणपति जैसे हैं. शो के क्रिएटर और प्रोड्यूसर असित कुमार मोदी ने कहा है, "ये हमारी ओर से महाराष्ट्र में मनाए जा रहे इस त्योहार के 125 साल पूरे होने पर एक सलाम है. ब्रिटिश राज के समय बाल गंगाधर तिलक ने 125 साल पहले इस प्रथा का श्रीगणेश किया था ताकि हम अंग्रेजों के नियमों की उपेक्षा करके इसके माध्यम से आजादी की लड़ाई के संदेश को सभी भारतीयों तक पहुंचा सकें. इसीलिए टप्पू शिवाजी महाराज बन के और टप्पू सेना मराठा योद्धा बनकर गणपतिजी को नाचते-गाते गोकुलधाम में लाए हैं."
गोकुलधाम में किसी भी त्योहार को मनाने का तरीका अनोखा ही रहता है. तभी तो जुलाई 2008 में शुरू हुआ सीरियल अपने हंसी के ठहाकों की वजह से अभी तक हर किसी को पसंद आता है.
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